Move to Jagran APP

Prayagraj Junction की डिजाइन अद्भुत है, बिना पिलर बना है विशाल सेंट्रल हॉल, और भी है खासियत

वर्तमान प्रयागराज रेलवे जंक्शन के नए भवन की नींव 22 मार्च 1955 में प्रधानमंत्री रहे पं. जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी। स्टेशन भवन पांच साल बाद सन् 1960-61 में बनकर तैयार हुआ। उस समय स्टेशन से कुल 108 गाडिय़ां ही चलती थीं जिसमें 42 यात्री टेनें थीं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 06 Mar 2021 02:46 PM (IST)Updated: Sat, 06 Mar 2021 05:02 PM (IST)
Prayagraj Junction की डिजाइन अद्भुत है, बिना पिलर बना है विशाल सेंट्रल हॉल, और भी है खासियत
ईस्ट इंडियन रेलवे के समय 1852 के आसपास इलाहाबाद रेलवे स्‍टेशन (अब प्रयागराज जंक्‍शन) बनाया गया था।

प्रयागराज, जेएनएन। आजादी मिलने के बाद इलाहाबाद जंक्शन (प्रयागराज जंक्शन) पुनर्निर्मित (रीमॉडल) होने वाला देश का पहला रेलवे स्टेशन है। वर्तमान भवन की कुल लागत और वास्तुकार का नाम सुनकर आप हैरत में पड़ सकते हैं। इस दो मंजिला स्टेशन भवन और शानदार कानकोर्ड के निर्माण में आज से 66 साल पहले सिर्फ 37 लाख रुपये खर्च हुए थे। भवन की डिजाइन देश के जाने-माने वास्तुकार नरीमन श्राफ ने बनाया और उन्हीं की देखरेख में इसकी साज-सज्जा भी की गई थी। नरीमन द्वारा तैयार की गई डिजाइन के कायल रेलवे के मौजूदा इंजीनियर भी हैं। 

loksabha election banner

पंडित नेहरू ने 1955 में रखी थी नए स्टेशन भवन की नींव

वर्तमान प्रयागराज रेलवे जंक्शन के नए भवन की नींव 22 मार्च 1955 में प्रधानमंत्री रहे पं.जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी। स्टेशन भवन पांच साल बाद सन् 1960-61 में बनकर तैयार हुआ। उस समय स्टेशन से कुल 108 गाडिय़ां ही चलती थीं जिसमें 42 यात्री टे्रनें थीं। 

सेंट्रल हॉल में एक साथ खड़े हो सकते हैं चार हजार यात्री

उत्तर मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अजीत कुमार सिंह बताते हैं कि स्टेशन के कानकोर्ड की डिजाइन काफी अद्भुत है। चार हजार से ज्यादा यात्रियों के खड़े होने की क्षमता वाला सेंट्रल हाल बिना किसी पिलर के खड़ा है। सेंट्रल हॉल 198 फिट लंबा और 72 फिट चौड़ा है। 66 साल पहले बने नए स्टेशन के मुख्य भवन के आंतरिक भाग में जरूरत अनुसार समय-समय पर कुछ फेरबदल किए जाते रहे हैं किंतु मुख्य डिजाइन अभी पहले जैसी ही है। 

जंक्शन पर 1955 में बनाए गए थे केवल छह प्लेटफार्म

जंक्शन के वर्तमान भवन की नींव सन् 1955 में जब प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने रखी थी तो लालबहादुर शास्त्री जी रेलमंत्री हुआ करते थे। दोनों ने ही नरीमन श्राफ द्वारा तैयार की गई भवन की डिजाइन को देखकर अपनी मंजूरी दी थी। नरीमन ने ही नई दिल्ली रेलवे स्टेशन की डिजाइन भी तैयार की थी। उस वक्त छह प्लेटफार्म बनाए गए थे। बाद में अलग-अलग वक्त में और प्लेटफार्म बनाए गए। वर्तमान में कुल 11 प्लेटफार्म हैं। भविष्य में दो और प्लेटफार्म बनाने की योजना है। वर्तमान में यहां से करीब ढाई सौ टे्रनें गुजरती हैं जिसमें डेढ़ सौ के लगभग यात्री टे्रनें हैं व 60 हजार से अधिक यात्री प्रतिदिन यहां से सफर करते हैं। 

ईस्ट इंडियन रेलवे के समय 1852 के आसपास बना था स्टेशन

उत्तर मध्य रेलवे के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी डा. अमित मालवीय बताते हैं कि ईस्ट इंडियन रेलवे के समय में इलाहाबाद (अब प्रयागराज) जंक्शन की नींव कब पड़ी थी, रेलवे में इसके रिकार्ड नहीं मिल रहे हैं लेकिन सन 1852 में इलाहाबाद-कानपुर के बीच रेल लाइन के निर्माण का कार्य शुरू हुआ था। ट्रैक की जांच के लिए सन 1857 में पहले रेल इंजन का ट्रॉयल हुआ था। यह इंजन कानपुर की ओर 26 मील तक गया था। अनुमान है कि इसी अवधि में इलाहाबाद स्टेशन भी बना। तब यहां केवल एक प्लेटफार्म का निर्माण ही हुआ था। सन 1859 में इलाहाबाद-कानपुर के बीच पहली ट्रेन चली थी। तब स्टेशन का निर्माण ईस्ट इंडियन रेलवे की पारंपरिक डिजाइन पर हुआ था जिसमें मुख्य प्रवेश द्वार पर एक पोर्टिको हुआ करता था। प्लेटफार्म कंक्रीट छत वाले होते थे जिसके नीचे से ही टे्रन गुजरती थी। उत्तर मध्य रेलवे क्षेत्र में गाजियाबाद, अलीगढ़, टुंडला, इटावा, मीरजापुर, विंध्याचल स्टेशन के मुख्य भवन पुराने स्टाइल के ही हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.