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विवाद से गिरी शंकराचार्य पद की गरिमा : निश्चलानंद

पुरी पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती बुधवार को इलाहाबाद में थे। झूंसी स्थित शिवगंगा आश्रम में उन्होंने कहा कि शंकराचार्य सर्वश्रेष्ठ धर्मगुरु हैं। जो आदिशंकराचार्य के पदचिह्नों पर चलते हैं। कहा कि विवाद से शंकराचार्य पद की गरिमा गिरी है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Jul 2018 01:04 PM (IST)Updated: Thu, 05 Jul 2018 01:04 PM (IST)
विवाद से गिरी शंकराचार्य पद की गरिमा : निश्चलानंद
विवाद से गिरी शंकराचार्य पद की गरिमा : निश्चलानंद

झूंसी, इलाहाबाद : शंकराचार्य सर्वश्रेष्ठ धर्मगुरु हैं। जो आदिशंकराचार्य के पदचिह्नों पर चलते हुए सनातन धर्म को संरक्षित कर रहे हैं लेकिन दो पीठों में विवाद के चलते इस पद की गरिमा गिरी है जो धर्म, धर्मगुरु व राष्ट्र के लिए चिंताजनक है। यह पीड़ा पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती की है। शिवगंगा आश्रम झूंसी में बुधवार को आयोजित धर्मसभा में उन्होंने कहा कि धर्मगुरुओं को विवाद से दूर रहना चाहिए।

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भक्तों पर ज्ञान की वर्षा करते हुए बोले, मनुष्य को कभी मृत्यु की चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि देह का नास होता है जीवात्मा का नहीं। कहा कि पृथ्वी पर जो भी जीव है सबका अंत होना है। जो पैदा हुआ है उसे एक न एक दिन नष्ट होना ही है। हर प्राणी का मरना सार्थक नहीं होता। जीवन में अहंकार और लोभ की भावना से मनुष्य का नास होता है। विकास के सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं। पृथ्वी, आकाश और जल की कितनी आयु है। इसकी जानकारी आज के वैज्ञानिकों को नहीं है। वे इसके बारे में नहीं बता सकते लेकिन वैदिक गणित से इसकी जानकारी हो सकती है। भारत की मेधा शक्ति को दबाने का काम हमेशा से होता रहा है लेकिन ईश्वर से जो मेधा शक्ति मिलती है उसे नहीं दबाया जा सकता। स्वामी जी ने कहा कि वैदिक गणित को विलुप्त होने से बचाने के लिए 12 ग्रंथों की रचना की है। इसके प्रकाशन होने के बाद इसका प्रभाव दिखाई पड़ेगा। इस मौके पर जुगुल किशोर, स्वामी रामानुजाचार्य, ब्रह्माचारी पुरी महाराज ने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर अरुण मिश्र, मनोज निषाद सहित बड़ी संख्या में भक्त मौजूद रहे।


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