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माघ मेला में जुटे देश भर के वैष्णव धर्माचार्य, प्रयागराज को वैष्णव क्षेत्र घोषित किया Prayagraj News

माघ मेला में कुंज सेवा समिति का शिविर में वैष्‍णव धर्माचार्य जुटे। संत सम्‍मेलन में उन्‍होंने प्रयागराज को वैष्णव क्षेत्र बताया। गाय गंगा की रक्षा और श्रीराम मंदिर भी विमर्श हुआ।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 29 Jan 2020 10:20 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 09:38 PM (IST)
माघ मेला में जुटे देश भर के वैष्णव धर्माचार्य, प्रयागराज को वैष्णव क्षेत्र घोषित किया Prayagraj News
माघ मेला में जुटे देश भर के वैष्णव धर्माचार्य, प्रयागराज को वैष्णव क्षेत्र घोषित किया Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। माघ मेला क्षेत्र स्थित श्रीकृष्ण कुंज सेवा समिति के शिविर में देश भर से वैष्णव धर्माचार्य जुटे। संतों ने प्रयागराज को वैष्णव क्षेत्र घोषित किया। कहा कि प्रयाग में द्वादश माधव बसते हैं। इन्हीं के नाम से पूजा-पाठ होती है, इसलिए प्रयाग अपने आप में वैष्णव क्षेत्र है। संत सम्मेलन में गाय, गंगा और अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण पर भी चर्चा हुई।

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अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण शीघ्र होना चाहिए : स्वामी जनमेजय

संत सम्मेलन में अयोध्या, प्रयागराज, मध्य प्रदेश और दिल्ली से भी आए वैष्णव धर्माचार्यों का जमावड़ा हुआ। महंत नृत्य गोपाल दास (अयोध्या) शामिल नहीं हो सके। संत सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे अयोध्या के रसिक पीठाधीश्वर स्वामी जनमेजय शरण ने कहा कि श्रीराम को टेंट से निकालना होगा, उनके लिए मंदिर का निर्माण शीघ्र होना चाहिए। कहा कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण शीघ्र होना चाहिए।

प्रयाग में द्वादश माधव विद्यमान हैं : स्वामी कृष्णाचार्य

शिविर के अध्यक्ष स्वामी कृष्णाचार्य ने कहा कि प्रयाग वैष्णव क्षेत्र है। इसे ऐसे सिद्ध किया जा सकता है कि यहां द्वादश माधव विद्यमान हैं। श्रद्धालु इनकी परिक्रमा करते हैं। द्वादश माधव सनातन धर्म के आधार हैं। इसलिए प्रयागराज को वैष्णव क्षेत्र होने का गौरव प्राप्त है।

सम्मेलन में ये संत शामिल हुए

सम्मेलन में जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी रामानुजाचार्य, जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी रघुनाथ देशिक महाराज, जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी योगेश्वराचार्य (दिल्ली), जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी विष्णु प्रपन्नाचार्य (जिला रीवा मप्र), स्वामी गोपालाचार्य (ऋषिकेश), मानस केसरी महामंडलेश्वर रामलखन दास (अयोध्या), हरि प्रपन्नाचार्य और राघवेंद्राचार्य ने भी विचार व्यक्त किए। संतों की वाणी में प्रयाग वैष्णव क्षेत्र के अलावा गाय, गंगा की रक्षा के लिए गहन मंथन हुआ। समापन अवसर पर संतों ने 'धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो' का जयकारा लगाया। सम्मेलन में बड़ी तादाद में श्रद्धालु शामिल रहे।


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