कुंभ के श्रद्धालुओं को अक्षयवट तक जाने की छूट दी जाए, उठी मांग
कुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं को अक्षयवट के दर्शन और पूजन की छूट मिलनी चाहिए। यह मांग लगातार शहर के विशिष्टजन कर रहे हैं।
प्रयागराज : सदियों से किले में कैद अक्षयवट का दर्शन-पूजन सबको समान रूप से मिलने की मांग तेज हो चली है। सरकार से उचित कदम उठाने की मांग हो रही है कि कुंभ में प्रयाग आने वाले श्रद्धालुओं को अक्षयवट तक जाने की छूट दी जाए। हर वर्ग के लोग चाहते हैं कि दर्शन में भेदभाव न किया जाए। ऐसा न हुआ तो इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने का औचित्य नहीं रहेगा।
सरकार प्रयाग का गौरव बढ़ाए : प्रदीप
समाजसेवी प्रदीप पांडेय कहते हैं कि अक्षयवट प्राचीनकाल से मानव की आस्था, श्रद्धा व समर्पण का केंद्र है। हर व्यक्ति की इच्छा रहती है कि वह अक्षयवट का दर्शन करे। अक्षयवट खुलता है तो प्रयाग का गौरव बढ़ेगा। सरकार अक्षयवट को खोलकर प्रयाग का गौरव बढ़ाए।
जनभावनाओं की अनदेखी न हो : योगेश
व्यापारी नेता योगेश गोयल कहते हैं कि अक्षयवट हिंदुओं की आस्था का केंद्र है। सरकार जनभावनाओं को ध्यान में रखते हुए इसका दर्शन सबके लिए सुलभ कराए। यह काम कुंभ से पहले हो जाना चाहिए, जिससे देश-विदेश के श्रद्धालु दर्शन कर सकें।
अक्षयवट का किले में कैद होना दुर्भाग्यपूर्ण : पदुम
वरिष्ठ भाजपा नेता पदुम जायसवाल कहते हैं कि मोदी-योगी सरकार ने जैसे इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने का ऐतिहासिक काम किया है। वैसे ही अक्षयवट को आम श्रद्धालुओं के लिए खोले। अक्षयवट का किले में कैद होना दुर्भाग्यपूर्ण है।
हमेशा के लिए खुले अक्षयवट : शत्रुघ्न
शत्रुघ्न यादव कुंभ से पहले अक्षयवट को आम श्रद्धालुओं के लिए खोलने की वकालत करते हैं। इनका कहना है कि केंद्र व प्रदेश सरकार कुंभ से पहले अक्षयवट को सबके दर्शनार्थ खुलवाए। एक बार खुलने पर अक्षयवट हमेशा के लिए श्रद्धालुओं को सौंप दिया जाए, ताकि हमेशा दर्शन सर्वसुलभ हो।
...और मैं भक्तिभाव में डूब गया
मेरे लिए अक्षयवट कोई वृक्ष नहीं, बल्कि साक्षात देव समान है। मैं मानता हूं कि अक्षयवट के रूप में भगवान विष्णु जीवंत स्वरूप में अपना दर्शन दे रहे हैं। किले में बंद अक्षयवट के दुर्लभ दर्शन करने को मैं जीवन की बड़ी उपलब्धि मानता हूं। इसके दर्शन का सौभाग्य मुझे 2010 में मिला। सेना के एक अधिकारी मेरे जानने वाले थे। मैंने उनसे अक्षयवट दर्शन की इच्छा व्यक्त की तो उन्होंने पास बनवा दिया। इसके बाद मैं किला के अंदर गया। जहां अक्षयवट है, वहां तक पहुंचने के लिए कई सीढिय़ां उतरनी चढऩी पड़ीं। कई लॉन से गुजरकर वहां तक पहुंचे थे। अक्षयवट को देखकर हृदय भक्तिभाव में डूब गया। ऐसा लगा जैसे भगवान विष्णु मुस्कुराते हुए मुझे दर्शन दे रहे हों। मैंने पूजन किया और परिक्रमा की। फिर भी मन तृप्त नहीं हुआ। ऐसा लगता है कि प्रतिदिन अक्षयवट का दर्शन करूं।
-राधाकांत ओझा, पूर्व अध्यक्ष इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन