डेढ़ हजार संतों के प्रवचन से वंचित रह जाएंगे कुंभ मेले के श्रद्धालु
ढाई हजार संस्थाओं को कुंभ मेला प्रशासन जमीन आवंटित नहीं कर रहा है। इनमें से अधिकांश संत नहीं रहेंगे तो प्रवचन से लोग वंचित रह जाएंगे।
प्रयागराज : इस बार लगभग डेढ़ हजार संतों के प्रवचन से कुंभ मेला क्षेत्र वंचित रहेगा। दरअसल, इन संतों को कुंभ मेला प्रशासन जमीन नहीं दे रहा है। प्रशासन का कहना है कि अब जमीन नहीं बची है। इसके विपरीत साधु-संन्यासियों का आरोप है कि प्रशासन ने जमीन आवंटन में मनमानी की है।
प्रशासन ने दी थी दो तिथियां
कुंभ मेला क्षेत्र में लगभग ढाई हजार नई संस्थाओं ने जमीन व सुविधा के लिए आवेदन किया है। इनमें लगभग डेढ़ हजार संस्थाएं साधु-संतों की हैं। बताते हैं कि नई संस्थाओं को जमीन देने से प्रशासन ने साफ इन्कार कर दिया है। जबकि प्रशासन ने नई संस्थाओं को जमीन आवंटित करने के लिए दो तिथियां दी थी। पहले 15 दिसंबर से नई संस्थाओं को जमीन देने की घोषणा की गई मगर नहीं दी गई। इसके बाद 25 दिसंबर से जमीन आवंटित करने की तिथि घोषित की गई मगर जमीन नहीं दी। अब नई संस्थाओं के संचालक जमीन के लिए प्रशासन कार्यालय में इधर-उधर भटक रहे हैं।
संस्था संचालक कैसे करेंगे प्रवचन
इनमें डेढ़ हजार संस्थाओं के संचालक ऐसे संत हैं जो मेले में प्रवचन देने के लिए आ रहे हैं। यही नहीं कई ऐसे संत हैं जो यज्ञ समेत विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों को कराने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं। इन संतों का आरोप है कि मेला प्रशासन जमीन आवंटन में मनमानी कर रहा है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
महाविद्या आश्रम फाउंडेशन ट्रस्ट के राजकुमार तिवारी, रामेश्वर प्रसाद त्रिपाठी सेवा संस्थान के प्रेमचंद्र त्रिपाठी, शिवशक्ति धाम के महेंद्र महाराज, प्राचीन नीलकंठ महादेव सेवा दल, स्वामी संकट मोचन समिति के दुर्गा प्रसाद, स्वामी दीनानंद, स्वामी वशिष्ठाचार्य महाराज, व्यास नारायणाचार्य, समाज कल्याण समिति के धर्मेंद्र, आचार्य प्रभाकर महाराज, स्वामी भारताचार्य महाराज, स्वामी शत्रुघ्नाचार्य महाराज, लक्ष्मीनारायण मंदिर सेवा संस्थान के शुगम दुबे, त्यागी बाबा गो संस्थान के राजेश शास्त्री, बाबा जयगुरुदेव धर्म विकास संस्थान के पदाधिकारी, अविनाश गुप्ता, अनिल मालवीय, कृपाशंकर द्विवेदी स्मृति संस्थान, गंगादास फलाहारी महाराज, डॉ.योगी जीवन नाथ महाराज, योगीश्वर महादेव का आरोप है कि मेला प्रशासन आश्वासन देने के बाद भी जमीन नहीं दे रहा है, जबकि उनकी पूरी तैयारी है।
दफ्तर से अफसर नदारद
संतों का कहना है कि जमीन और सुविधा को लेकर प्रशासन गंभीर आरोपों से घिर गया है। यही वजह है कि दिन में अफसर मेला प्रशासन कार्यालय में बैठते तक नहीं है। दिन भर वे नदारद रहते हैं। रात में ही वे आते हैं। बताते हैं कि दिन में वे दूसरे स्थानों पर जाकर अपना काम निपटाते हैं। इस दौरान वे सरकारी मोबाइल पर कॉल भी नहीं रिसीव करते हैं।