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शिक्षकों को राहत, परिषदीय विद्यालयों का ब्योरा एप पर आइटी और आरटी करेंगे फीड Prayagraj News

कायाकल्प योजना और एमडीएम माड्यूल की जानकारी एकत्र करने के लिए 53 इंटिरेंट और रिसोर्स टीचर लगाए गए हैं। परिषदीय विद्यालयों का ब्योरा एप पर ये फीड करेंगे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 25 Nov 2019 08:31 AM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2019 01:37 PM (IST)
शिक्षकों को राहत, परिषदीय विद्यालयों का ब्योरा एप पर आइटी और आरटी करेंगे फीड Prayagraj News
शिक्षकों को राहत, परिषदीय विद्यालयों का ब्योरा एप पर आइटी और आरटी करेंगे फीड Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। जिले में समेकित शिक्षा के जिस कार्य को बेसिक शिक्षकों से कराया जाना था, अब वह काम इंटिरेंट टीचर (आइटी) और रिसोर्स टीचर (आरटी) करेंगे। परिषदीय विद्यालयों में उपलब्ध संसाधनों, कमियों और मिडडे मील (एमडीएम) का ब्योरा प्रेरणा एप पर अब यही टीचर फीड करेंगे। इस काम के लिए कुल 53 आइटी और आरटी लगाए गए हैं।

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ब्योरे की फीडिंग शिक्षकों को प्रेरणा एप पर करना था

परिषदीय स्कूलों में कक्षा-कक्ष की संख्या, हैंडपंप, बिजली, पंखे, बाउंड्रीवाल, शौचालय, बाथरूम, किचन शेड, टाइल्स की उपलब्धता अथवा अनुपलब्धता से संबंधित ब्योरे की फीडिंग शिक्षकों को प्रेरणा एप पर करना था। शिक्षकों के इस काम के न करने से राज्य परियोजना निदेशक विजय किरन आनंद ने यह जिम्मेदारी आइटी और आरटी को देने का  निर्देश दिया। पिछले सप्ताह 53 आइटी और आरटी को मम्फोर्डगंज स्थित सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय में ट्रेनिंग दी गई।

3478 विद्यालयों में यह काम 15 दिसंबर तक पूरा करना है

इन टीचरों को 3478 विद्यालयों में यह काम 15 दिसंबर तक पूरा करना है, इसलिए रोस्टर बना दिया गया है। खंड शिक्षा अधिकारियों और सह समन्वयकों को भी न्याय पंचायतवार स्कूल आवंटित कर दिए गए हैं। जहां वह नियमित दौरा करके इसकी प्रगति जानेंगे। इससे शिक्षकों और बच्चों की उपस्थिति का भी आकलन हो सकेगा। बता दें कि आइटी और आरटी  दिव्यांग बच्चों के पठन-पाठन में सहयोग के लिए संविदा पर रखे गए हैं। यह योजना बनाकर ऐसे बच्चों को पढ़ाते हैं।

बीएसए ने कहा, इससे किसी तरह का फर्जीवाड़ा नहीं हो सकेगा

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी संजय कुमार कुशवाहा कहते हैं कि सरकार परिषदीय विद्यालयों का पूरा डाटा चाहती है, ताकि यह जानकारी हो सके कि कहां किस संसाधन की जरूरत है। डाटा के मुताबिक योजना बनाकर पंचायत विभाग की सहायता से विद्यालयों में संसाधन बढ़ाया जाएगा। एक फायदा यह भी होगा कि किसी तरह का फर्जीवाड़ा नहीं हो सकेगा।


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