मस्क्युलर डिस्ट्रोफी से पीडि़त छात्रा में कामयाबी पाने की तमन्ना, जानें उसका जज्बा
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से सम्मानित हो चुकी व उनकी चहेती नेहा मेहरोत्रा की कहानी अजीब सी है। उसे मस्क्युलर डिस्ट्रोफी लाइलाज बीमारी है लेकिन जज्बा सफलता पाने की है।
प्रयागराज [गुरुदीप त्रिपाठी] । नेहा अगर बैठे-बैठे गिरने लगे तो अपने आप संभल नहीं पाती। बोलते वक्त जुबान लड़खड़ाती है, लेकिन हौसला और पढ़ाई के प्रति लगन ऐसी है कि वह स्पाइनल मस्क्युलर डिस्ट्रोफी बीमारी को भी मात दे रही है। वह 20 मई को व्हीलचेयर पर बैठकर इलाहाबाद विश्वविद्यालय की ओर से आयोजित संयुक्त शोध प्रवेश परीक्षा (क्रेट) में शामिल होगी। उसकी इच्छा पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने परीक्षा के दौरान परिवार के किसी सदस्य के साथ रहने की अनुमति भी दे दी है।
सीबीएसई 12वीं की परीक्षा में ऑल इंडिया स्तर पर दूसरा रैंक हासिल किया
टैगोर पब्लिक स्कूल से 10वीं और 12वीं की पढ़ाई पूूरी करने वाली नेहा मेहरोत्रा शहर केअतरसुइया स्थित गुजराती मोहल्ले की रहने वाली है। सीबीएसई बोर्ड से नेहा ने 12वीं में ऑल इंडिया स्तर पर दूसरा रैंक हासिल किया था। समाजशास्त्र से एमए की पढ़ाई पूरी कर चुकी विलक्षण प्रतिभा की धनी यह छात्रा शोध करना चाहती है। इसकी प्रवेश परीक्षा में शामिल होने को लेकर उसने इविवि के प्रवेश प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ. मनमोहन कृष्ण को 14 मई को एक पत्र लिखा। पत्र में अपनी बीमारी का जिक्र करते हुए परीक्षा केंद्र पर खुद को संभालने के लिए परिवार के एक सदस्य के साथ रहने और केंद्र पर ह्वीलचेयर और टेबल ले जाने की अनुमति मांगी।
जज्बा देखिए, नेता कहती हैं शरीर से हैं विकलांग लेकिन मन से नहीं
दैनिक जागरण से बातचीत में नेहा ने बताया कि हम शरीर से दिव्यांग हैं, लेकिन मन से नहीं। बीमारी की वजह से खुद शरीर पर नियंत्रण नहीं कर पाती। ऐसे में अनुमति मांगी है। निदेशक डॉ. मनमोहन कृष्ण ने बताया कि नेहा का पत्र मिला तो फोन पर ही अनुमति दे दी गई।
आठ बार पूर्व राष्ट्रपति डॉ. कलाम से मिल चुकी हैं नेहा
वर्ष 2006 में इनोवेटिव साइंस कैटगरी में आलू से बिजली पैदा करने वाला मॉडल बनाया था। इसके लिए नेहा को 2007 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने नेशनल बालश्री अवार्ड से नवाजा था। पिता त्रिलोकी नाथ मेहरोत्रा ने बताया कि नेहा आठ बार तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. कलाम से मिल चुकी है। राष्ट्रपति भवन में बालश्री पुरस्कार लेते वक्त नेहा ने डॉ. कलाम को टैगोर पब्लिक स्कूल आने के लिए आमंत्रित किया। इस पर डॉ. कलाम ने पूछा था यह रिक्वेस्ट है या आर्डर। नेहा ने कहा पहले रिक्वेस्ट और नहीं आएंगे तो ऑर्डर।
डॉ. कलाम मंच से बोले- नेहा आपको परिचय देने की आवश्यकता नहीं
2003 में बेटी के लिए नौकरी से वीआरएस लेने वाले त्रिलोकी कहते हैं कि डॉ. कलाम उसे परिवार के सदस्य की तरह मानते थे। टैगोर पब्लिक स्कूल के एक कार्यक्रम का जिक्र करते हुए वह बताते हैं कि नेहा ने जैसे ही अपना परिचय देना शुरू किया तो डॉ. कलाम मंच से बोले- नेहा आपको परिचय देने की आवश्यकता नहीं। आप मेरे परिवार के सदस्य की तरह हैं।
कह दो उन्हें ललकार कर....
जो बैठ जाए हारकर, कह दो उन्हें ललकार कर। मेहनत करो, मेहनत करो...। यह कविता खुद नेहा ने लिखी है। वह बताती हैं कि जब डॉ. कलाम ने सम्मानित किया, तब उन्हें यह कविता सुनाई थी। नेहा आइएएस बनना चाहती है। मां डॉ. क्षमा मेहरोत्रा बताती हैं कि वह केजी से ही मेधावी रही है। उनकी बेटी को गाने और पेंटिंग का शौक है। वह कविता भी लिख चुकी है।
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