एएनएम सेंटर में गबन मामले में एक मुखिया के आगे महकमा मजबूर
एएनएम सेंटर में गबन की गई राशि को वसूलने के लिए डीएम से गुहार लगाई गई है। आरटीआइ से मांगी गई जानकारी के अनुसार यह सेंटर अभी तक अस्तित्व में ही नहीं आ सका है।
प्रयागराज : 13 साल पहले जिस एएनएम सेंटर (उप स्वास्थ्य केंद्र) की नीव रखी गई थी, वह आज तक अस्तित्व में नहीं आ सकी। यहां एक मुखिया जी के आगे पूरा महकमा मजबूर दिख रहा है। यह मामला तब सामने आया जब 'दैनिक जागरणÓ ने इस संबंध में जन सूचना अधिकार के तहत जानकारी मांगी। विभाग की तरफ से जो जवाब दिया गया उससे इसकी पुष्टि होती है।
मामला 2005 का है। करछना तहसील के रामपुर गांव में एएनएम सेंटर के लिए करीब 4.25 लाख रुपये तत्कालीन ग्राम प्रधान व एएनएम के संयुक्त खाते में भेजा गया। जब काम शुरू हुआ तो ग्रामीणों को उम्मीद जगी कि अब ग्रामीणों को राहत मिलेगी, लेकिन कुर्सी भरने के बाद वह बंद हो गया। एएनएम व तत्कालीन ग्राम प्रधान ने मिलकर पूरा बजट डकार गए लेकिन और काम जस का तस पड़ा रहा। कई्र सालों तक स्वास्थ्य महकमा भी इसे लेकर सचेत नहीं हुआ। लंबे समय बाद जब विभाग को इसकी याद आयी तो एएनएम व ग्राम प्रधान को नोटिस जारी किया गया। एएनएम से उसकी सैलरी से रिकवरी कर ली गई लेकिन ग्राम प्रधान को सिर्फ नोटिस ही जारी किया जाता रहा। विभाग जब उस बजट की रिकवरी करने में अक्षम हुआ तो जिलाधिकारी से गुहार लगाई।
ग्रामीणों को होती है असुविधा :
इस गांव में एएनएम सेंटर न होने से ग्रामीणों को असुविधा होती है। टीकाकरण के लिए गांव के किसी अन्य स्थान पर कैंप लगाया जाता है। प्राथमिक इलाज के लिए लोगों को पीएचसी या सीएचसी जाना होता है।