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योगी से मिले अखाड़ा परिषद अध्यक्ष, परिषद किन्नरों को संन्यासी बनाने पर राजी

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद किन्नरों को संन्यासी बनाने पर राजी है। इस बीच परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने मुख्यमंत्री योगी से मुलाकात कर उन्हें कुंभ कार्यों की जानकारी दी।

By Nawal MishraEdited By: Published: Fri, 31 Aug 2018 07:04 PM (IST)Updated: Fri, 31 Aug 2018 08:24 PM (IST)
योगी से मिले अखाड़ा परिषद अध्यक्ष,  परिषद किन्नरों को संन्यासी बनाने पर राजी
योगी से मिले अखाड़ा परिषद अध्यक्ष, परिषद किन्नरों को संन्यासी बनाने पर राजी

लखनऊ (जेएनएन)। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर उन्हें कुंभ में चल रहे कार्यों की जानकारी दी। इसी बीच अखाड़ा परिषद किन्नरों को संन्यासी बनाने को राजी हो गया है। अखाड़ों ने अपने द्वार खोलते उन्हें मंडलेश्वर व महामंडलेश्वर जैसी उपाधियां देने का निर्णय लिया है। 

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पहले भी हो चुकीं ऐसी मुलाकातें

नरेंद्र गिरि ने योगी से मुलाकात के दौरान अखाड़ों के विकास के लिए दी गई धनराशि बढ़ाने का अनुरोध किया। महंत कुंभ के आयोजन को लेकर इससे पहले भी कई बार मुख्यमंत्री से मिल चुके हैैं। इसके बाद सरकार ने अखाड़ों में निर्माण के लिए धनराशि भी जारी की है। शुक्रवार को महंत ने कुंभ के कार्यों में और तेजी लाये जाने की बाद भी सीएम से कही। उन्होंने बताया कि अखाड़ों में निर्माण कार्य के लिए राशि बढ़ाने का मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया है। उन्होंने प्रयाग स्थित मठों और आश्रमों के विकास पर भी चर्चा की। 

किन्नरों को संन्यासी बनाने की शर्त

इस बीच किन्नरों को संन्यासी बनाने पर राजी अखाड़ा परिषद की शर्त है कि संन्यास लेने वाले किन्नरों को सनातन धर्म की परंपरा के अनुरूप जीवनयापन करते हुए जप-तप में लीन रहना होगा। वह 13 अखाड़ों में किसमें शामिल होंगे, उसकी छूट दी गई है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने कहा कि किन्नरों को अखाड़ों में दीक्षित करने का निर्णय लिया है। वह किसी भी अखाड़े से जुड़कर धर्महित में काम कर सकते हैं लेकिन अलग अखाड़ा को मान्यता नहीं दी जाएगी, क्योंकि वह सनातन धर्म की परंपरा के खिलाफ है।

13 अखाड़ों की भांति सुविधाएं मांगी 

किन्नरों ने उज्जैन कुंभ 2016 से पहले धर्मक्षेत्र में अपनी दस्तक दी। 13 अक्टूबर, 2015 को अध्यात्म वाटिका हासमपुरा उज्जैन में 'किन्नर अखाड़ा ' की स्थापना की गई लेकिन, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने उसे 14वें अखाड़े की मान्यता नहीं दी। आदिगुरु शंकराचार्य की परंपरा का हवाला देते हुए परिषद ने कहा कि 13 के अलावा कोई नया अखाड़ा नहीं बन सकता। इसके बावजूद किन्नरों ने वर्ष 2016 में हुए उज्जैन कुंभ में हिस्सा लिया। अखाड़े की तरह पेशवाई निकालने के साथ शाही स्नान भी किया। अब वह वर्ष 2019 में प्रयाग में लग रहे कुंभ मेला में उपस्थिति दर्ज कराएंगे। किन्नर अखाड़े के आचार्य पीठाधीश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने प्रशासन से 13 अखाड़ों की भांति जमीन व सुविधाएं मांगी हैं।  

संस्कृत व वेदों की मिलेगी शिक्षा

किन्नरों को धर्म से जोडऩे के लिए संस्कृत, वेद-पुराण की शिक्षा दी जाएगी। देशभर में अखाड़ों द्वारा संचालित संस्कृत विद्यालयों में शिक्षित किया जाएगा। संन्यास लेने वाले किन्नर को अगर धर्म की अच्छी जानकारी है तो उन्हें मंडलेश्वर व महामंडलेश्वर जैसी उपाधि दी जाएगी लेकिन, इसका निर्णय संबंधित अखाड़े के पंचपरमेश्वर करेंगे। किन्नर अखाड़ा के आचार्य पीठाधीश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी अखाड़ा परिषद की पहल को 'बांटो और राज करो' नीति बताती हैं। कहती हैं किन्नर अखाड़ा से भयभीत होकर निर्णय लिया है। किन्नरों से दिक्कत नहीं है तो किन्नर अखाड़ा को मान्यता क्यों नहीं दे रहे? मैंने उज्जैन कुंभ में अखाड़ा परिषद के पदाधिकारियों से मिलकर धर्महित में साथ काम करने का प्रस्ताव दिया था लेकिन, वह नहीं माने। 


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