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पत्थर गिरजाघर को देखकर फैसला देते थे न्यायमूर्ति

शरद द्विवेदी, इलाहाबाद पत्थरों में आकर्षक नक्काशी, जगह-जगह लगे शीशों में उकेरे गए प्रभु

By JagranEdited By: Published: Thu, 14 Dec 2017 07:14 PM (IST)Updated: Thu, 14 Dec 2017 07:14 PM (IST)
पत्थर गिरजाघर को देखकर फैसला देते थे न्यायमूर्ति
पत्थर गिरजाघर को देखकर फैसला देते थे न्यायमूर्ति

शरद द्विवेदी, इलाहाबाद

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पत्थरों में आकर्षक नक्काशी, जगह-जगह लगे शीशों में उकेरे गए प्रभु यीशु का जीवनवृत्त। सजावट ऐसी, जिसे देख हर कोई उसका कायल बन जाए। यहां बात हो रही है शहर के हृदयस्थल सिविल लाइंस के बीचो-बीच स्थित ऑल सेंट कैथेड्रल चर्च (पत्थर गिरिजाघर) की जो सुंदरता व कलाकारी का शहर में नायाब नमूना है। जंक्शन के ओवरब्रिज में खड़ा व्यक्ति इसके गुंबदों को देखकर आश्चर्य में पड़ जाता है। पत्थर गिरजाघर का दीदार कभी हाईकोर्ट से होता था, हाईकोर्ट के ऊपरी तल में एक खिड़की है, जहां से यह आसानी से दिखता था। अंग्रेजी शासनकाल में तत्कालीन न्यायमूर्ति कोई भी निर्णय देने से पहले हाईकोर्ट की खिड़की से चर्च का दर्शन करके प्रार्थना करते थे कि 'उनसे गलत फैसला न होने पाए', उसके बाद फैसला सुनाते थे।

आज बड़ी इमारतों के बनने व पेड़ों की वजह से हाईकोर्ट से चर्च नहीं दिख पाता। यह प्रोटेस्टेंट मसीही समुदाय का प्रमुख आराधना स्थल है, जो 50 वर्ष में तैयार हुआ है। इसकी गिनती देश के चुनिंदा चर्चो में होती है जो बिशप चर्च के रूप में प्रसिद्ध है। डायोसिस आफ लखनऊ के अंतर्गत आने वाले पत्थर गिरिजाघर की नींव 10 अप्रैल 1871 में तत्कालीन गवर्नर मिस्टर म्योर व उनकी पत्‍‌नी एलिजाबेथ ने रखी थी। चर्च सचिव अनूप लारेंस बताते हैं कि इसे बनाने के लिए चुनार से पत्थर मंगाए गए थे। इसका प्रारूप तैयार करने की जिम्मेदारी उस समय प्रख्यात वास्तुकार सर विलियम इमर्सन को दिया गया, जिसे तैयार करने के लिए उन्होंने दो वर्ष का समय लिया। इन्होंने ही कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल का नक्शा बनाया था। सैकड़ों मजदूर इसे बनाने में लगे, लेकिन दो खंभों का काम पूरा नहीं हो पाया था। वह दोनों खभे आज भी अधूरे हैं।

मसीही संतों की याद में बना चर्च

पत्थर गिरजाघर मसीही संतों को समर्पित है। यह उन संतों की याद में बनाया गया था जिन्होंने अपना जीवन मानव सेवा में लगाया था। इससे चर्च का नाम 'ऑल सेंट कैथेड्रल' चर्च रखा गया।

आकर्षण का केंद्र हैं शीशे

पत्थर गिरजाघर के अंदर चारों ओर लगे विशाल शीशे हर किसी के आकर्षण का केंद्र हैं। इसमें प्रभु यीशु के जन्म से लेकर उनके द्वारा किए गए हर कार्य को आकर्षक तरीके से दर्शाया गया है जो सूर्य की रोशनी में आकर्षक चमक बिखेरता है। एरिक लाल इस चर्च के पहले पादरी बने। वर्तमान समय में 250 से अधिक सदस्य हैं। यहां हर रविवार को आयोजित होने वाली प्रार्थना सभा में हर धर्म के लोग शिरकत करते हैं।

शुरू है खुशियों का दौर : दाउद

पत्थर गिरजाघर के पादरी गेब्रियल दाउद बताते हैं कि क्रिसमस पर्व को लेकर खुशियों का दौर निरंतर चल रहा है। प्रभु यीशु के विचारों से जन-जन को जोड़ने के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कराया जा रहा है। इसमें निरंतर लोगों की भागीदारी बढ़ रही है। बताया कि प्रभु का जन्मोत्सव इस बार खास व आकर्षक ढंग से मनाया जाएगा।

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क्रिसमस के प्रमुख कार्यक्रम

-पत्थर गिरजाघर में 17, 18, 20 व 21 दिसंबर को कैरल सिंगिंग।

-22 दिसंबर क्रिसमस ट्री एवं स्पेशल ड्रामा।

-24 दिसंबर की रात बर्न फायर (लकड़ी जलाई जाएगी) होगी। इसके बाद रात 11 बजे आराधना की जाएगी। -25 दिसंबर क्रिसमस सर्विस के तहत सुबह नौ बजे आराधना होगी।


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