Move to Jagran APP

कानून मंत्री व पूर्व सपा सांसद को कोर्ट ने तलब किया

स्‍पेशल कोर्ट ने कानून मंत्री बृजेश पाठक व पूर्व सपा सांसद रंजीत सिंह को तलब किया है। उन्‍नाव जिले के बांगर मऊ थाने में दर्ज केस के मामले में कोर्ट ने यह कार्रवाई की। वहां की पुलिस केस में क्‍लीन चिट दे चुकी है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 12 Oct 2018 12:27 PM (IST)Updated: Fri, 12 Oct 2018 12:27 PM (IST)
कानून मंत्री व पूर्व सपा सांसद को कोर्ट ने तलब किया
कानून मंत्री व पूर्व सपा सांसद को कोर्ट ने तलब किया

कानून मंत्री व पूर्व सपा सांसद को कोर्ट ने तलब किया

loksabha election banner

- उन्नाव पुलिस ने मुकदमे में दिया था क्लीन चिट

301

इलाहाबाद : उन्नाव जिले के बांगर मऊ थाने में दर्ज क्रास केस के मामले में स्पेशल कोर्ट ने गुरुवार को कानून मंत्री बृजेश पाठक व पूर्व सपा सांसद रंजीत सिंह को तलब किया। संबंधित मुकदमे में विशेष न्यायाधीश एमपी एमएलए कोर्ट में पवन कुमार तिवारी ने सुनवाई की।

 अदालत ने दोनों पक्षों को तलब करते हुए कहा कि अगर वे प्रोटेस्ट पिटीशन दाखिल करते हैं तो अग्रिम कार्यवाही की जाए अन्यथा कार्यवाही समाप्त की जाएगी। कोर्ट ने उभयपक्ष को चेतावनी देते हुए व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने अथवा अधिकृत प्रतिनिधि के जरिए शामिल होने के आदेश दिए।

कब की है घटना :

घटना 14 साल पहले की है। 26 अक्टूबर 2004 में रंजीत सिंह ने बांगर मऊ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि सुभाष इंटर कॉलेज के सामने उन्नाव में बृजेश पाठक ने अरविंद उर्फ गुड्डू के ललकारने पर जान से मारने की नीयत से पिस्टल से फायङ्क्षरग की, जबकि बृजेश पाठक ने रंजीत सिंह व उनके समर्थकों पर सोने की जंजीर, घड़ी, नकदी व गाड़ी की चाभी लूटने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था। एफआइआर के बाद विवेचना एसएचओ विजय बहादुर सिंह व दारोगा मदन मोहन यादव को सौंपी गई। दोनों विवेचकों ने घटना की तफ्तीश की और कहा कि दोनों पक्षों के बीच चुनाव प्रचार के दौरान सड़क से गाडिय़ां हटाने के लिए कहासुनी हुई थी। विवेचना में उल्लेखित किया कि घटनास्थल से कोई कारतूस का खोखा, छर्रा नहीं मिला। किसी जुर्म का होना नहीं पाया जाता। मामलों में फाइनल रिपोर्ट पेश करके दोनों पक्षों को क्लीन चिट दे दी गई। इसके बाद किसी भी पक्ष ने अपने केस की पैरवी नहीं की। कोई प्रोटेस्ट पिटीशन विरोध याचिका भी पेश नहीं किया। सीजेएम उन्नाव आशारानी सिंह ने सूचना भी प्रेषित की। इसके बाद अब दोनों मुकदमों की फाइल स्पेशल कोर्ट में आई हैं।

फाइलों में एमपी, एमएलए नहीं लिखा :

एमपी एमएलए कोर्ट में दूसरे जिलों से आने वाली कई फाइलें ऐसी भी रहीं, जिसमें एमपी अथवा एमएलए का कोई संबंध नहीं है। ऐसी फाइलों को वापस भेज दिया गया। नियमत: प्रत्येक पत्रावली में अंकित किया जाना चाहिए कि अभियुक्त पूर्व जनप्रतिनिधि है या वर्तमान में एमपी या एमएलए है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.