जल पुलिस के जवान : गैरों की जिंदगी के लिए लहरों से लड़ाते हैं जान
कुंभ मेले में जल पुलिस की तैनाती की गई है। नाव पर सवारों को सकुशल सुरक्षित मंजिल तक पहुंचाना उनका ध्येय है। जवान गैरों की जिंदगी बचाने के लिए लहरों से संघर्ष करते नजर आते हैं।
ताराचंद्र गुप्त, प्रयागराज : 'लहरों से लडऩे का सलीका है जरूरी, हम डूबने वालों की हिफाजत ही करते हैं।' यह पंक्तियां जल पुलिस पर सटीक बैठती हैं। विश्वविख्यात कुंभ मेले में श्रद्धालुओं की जान बचाने के लिए तैनात जल पुलिस के जवान अपनी जिंदगी दांव पर लगा लहरों से जान लड़ाते हैं।
सैकड़ों नावों पर सवारों को सुरक्षित पहुंचाना बड़ी चुनौती
गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम का सान्निध्य पाने के लिए इस बार मानो पूरा विश्व उमड़ पड़ा है। 30 स्नान घाट, करीब 10 किलोमीटर का दायरा और सैकड़ों नावें। ऐसे में लाखों श्रद्धालुओं को स्नान कराकर सुरक्षित वापस भेजने का जो काम जल पुलिस ने अन्य विभागों के सहयोग से किया है, वह अभूतपूर्व रहा है। इस पूरी व्यवस्था के हीरो रहे हैं जल पुलिस के प्रभारी कड़ेदीन यादव। उनकी जागरूकता और कर्तव्यपरायणता के शहर के लोग ही नहीं अफसर भी मुरीद हैं।
आधी रात को भी मोबाइल पर मुस्तैद रहते हैं
कड़ेदीन अपने तमाम डांट फटकार और नाराजगी के बावजूद हरेक यात्री के लिए सेवा भाव से जुटे रहते हैं। कुंभ के बड़े स्नान पर्वों पर जब अधिकांश कर्मचारियों के लिए फोन उठाना भी मुश्किल होता है। कड़ेदीन आधी रात को भी मोबाइल पर मुस्तैद रहते हैं। हालांकि कड़ेदीन इसे कुछ खास नहीं मानते, वे कहते हैं कि यह ड्यूटी ही नहीं पुण्य का भी काम है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और फ्लड पीएसी के जवानों का भरपूर सहयोग मिला। साथ ही एडिशनल एसपी पुर्णेंदु सिंह, सीओ जल पुलिस महेंद्र सिंह के कुशल मार्गदर्शन ने काम और आसान कर दिया।
नाम कड़ेदीन, लेकिन स्वभाव सरल
प्रभारी जल पुलिस कड़ेदीन यादव के नाम में भले ही कड़ा शब्द जुड़ा है, लेकिन वह उतने ही सरल है। नाम में जुड़े दीन शब्द का विनम्र भाव भी हमेशा चेहरे पर रहता है। कड़ेदीन अपनी जुबां से किसी गोताखोर, जवान या वीआइपी अथवा श्रद्धालुओं को आहत नहीं करते। उनकी टीम पूरे मनोयोग और सेवाभाव के जरिए यूपी पुलिस की ब्रांडिंग विश्व स्तर पर कर रहे हैं।
कड़ेदीन जैसे कर्मठ कम ही हैं : डीआइजी कुंभ
डीआइजी कुंभ केपी सिंह कहते हैं कि कड़ेदीन जैसे कर्मठ कार्मिक कम ही मिलते हैं, जो अपनी ड्यूटी को फर्ज और पुण्य का काम समझते हैं। इतने बड़े आयोजन को सकुशल संपन्न कराने में उनकी भूमिका निस्संदेह प्रशंसनीय रही है।