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पांच साल में नहीं लगा लीकेज ढूंढने का सेंसर सिस्टम Prayagraj News

अब शहर में पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुछ इलाकों में 24 घंटे जलापूर्ति देने के लिए नई पाइप लाइन बिछाई जा रही है। तब भी लीकेज सेपानी की बर्बादी और लोगों की समस्या पर ध्यान नहीं दे रहे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sun, 05 Jan 2020 11:26 AM (IST)Updated: Sun, 05 Jan 2020 05:31 PM (IST)
पांच साल में नहीं लगा लीकेज ढूंढने का सेंसर सिस्टम Prayagraj News
पांच साल में नहीं लगा लीकेज ढूंढने का सेंसर सिस्टम Prayagraj News

प्रयागराज,जेएनएन । संगम नगरी में स्मार्ट सिटी योजना के तहत सुविधाएं अपग्रेड की जा रही हैं, लेकिन पेयजल पाइप लाइन में लीकेज ढूंढने के लिए कोई अपडेट तकनीक नहीं है। छह साल पहले बनाई गई सेंसर बेस वाटर लीकेज सिस्टम लगाने की योजना पर कोई काम नहीं हुआ। जलकल विभाग को आज भी पाइप लाइन में लीकेज ढूंढऩे में कई दिन लग जाते हैं। इससे लोग दूषित जलापूर्ति की शिकायत करते रहते हैं।

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2014 में योजना बनाई थी, प्रस्‍ताव ठंडे बस्‍ते में

पानी की बर्बादी रोकने को 2014 में योजना बनाई जिसमें लीकेज की समस्या को रोकने के लिए सेंसर बेस वाटर लीकेज सिस्टम लगाने का सुझाव दिया गया। इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार कराई गई लेकिन उसके बाद प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। अब शहर में पायलट प्रोजेक्ट के तहत कुछ इलाकों में 24 घंटे जलापूर्ति देने के लिए नई पाइप लाइन बिछाई जा रही है। तब भी लीकेज से होने वाली पानी की बर्बादी और लोगों की समस्या पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। नगर आयुक्त रवि रंजन का कहना है कि सेंसर बेस वाटर लीकेज सिस्टम को लगाने के लिए शीघ्र ही अधिकारियों के साथ चर्चा की जाएगी।

35 से 40 चिप लगेंगे पूरे सिस्टम में

सेंसर बेस वाटर लीकेज सिस्टम को लगाने के लिए पूरे शहर में 35 से 40 चिप लगाने पड़ेंगे। उनका एक डेसबोर्ड होगा। उस पर शहर की सभी पाइप लाइनों की स्थिति दिखाई देगी। एक चिप से 500 मीटर क्षेत्र कवर होगा। अगर वहां पर कोई लीकेज होगा तो मानीटर पर तत्काल संदेश दिखाई देगा। टीम को शीघ्र भेजकर लीकेज दुरुस्त कराया जा सकेगा। कई बड़े शहरों में यह लग चुका है जिससे जलकल विभाग को अनावश्यक खोदाई नहीं करनी पड़ती। पानी के साथ रकम भी बचेगी। लोगों को दूषित जलापूर्ति की समस्या से निजाद मिलेगी।


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