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केन्द्र सरकार की राजाज्ञा के अनुसार प्रदेश के मजदूरों की 42 वर्षों से लंबित मांग को लेकर प्रयागराज से शुरू हुआ पत्राचार अभियान

उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी तक इस राजाज्ञा को लागू नहीं किया है। इन श्रमिक बस्तियों के लाखों आवासों में उनके परिवारीजन अनिश्चय एवं संशय में जी रहे है। उत्तर प्रदेश श्रम विभाग ने इस मामले को 42 वर्षाें से लटका रखा है।

By Ankur TripathiEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 11:06 PM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 11:06 PM (IST)
केन्द्र सरकार की राजाज्ञा के अनुसार प्रदेश के मजदूरों की 42 वर्षों से लंबित मांग को लेकर प्रयागराज से शुरू हुआ पत्राचार अभियान
प्रदेश के मजदूरों की 42 वर्षों से लंबित मांग को लेकर पत्राचार अभियान शुरू किया गया है।

प्रयागराज, जेएनएन। केन्द्र सरकार की राजाज्ञा के अनुसार प्रदेश के मजदूरों की 42 वर्षों से लंबित मांग को लेकर पत्राचार अभियान  शुरू किया गया है। इस अभियान के तहत भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश एवं प्रमुख सचिव उत्तर प्रदेश शासन को पत्र भेजकर केन्द्र सरकार की राजाज्ञा के अनुसार उत्तर प्रदेश की औद्योगिक श्रमिक बस्तियों के निवासियों को उनके आवासों का मालिकाना हक, श्रमिक बस्ती नैनी से पीएसी का अवैध कब्जा हटाने की मांग की गई है। इस कार्यक्रम के तहत एक हजार पत्र मुख्यमंत्री को भेजे जायेंगे।

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1978 में केंद्र सरकार से जारी हो चुका है आदेश

श्रमिक कल्याण समिति के सचिव विनय मिश्र ने कहा है कि लगातार एक महीने पत्राचार के द्वारा प्रदेश के सभी मजदूर एवं उनके परिजन श्रमिक कालोनियों की तत्काल बिक्री के आदेश को अन्य राज्यों की तरह उत्तर प्रदेश में भी अमल में लाने की मांग करेंगे। उन्होंने कहा है कि सन् 1948 में देश की आजादी के बाद केन्द्र सरकार ने पूरे देश के सोलह राज्यों में कारखानों में कार्यरत श्रमिकों के लिये श्रमिक कालोनियों का निर्माण कराया था। मजदूरों की आवासीय समस्या को देखते हुए केन्द्र सरकार ने सन् 1978 में भारत सरकार के निर्माण और आवास मंत्रालय ने 09 फरवरी सन् 1978 को सभी राज्य सरकारों तथा संघ राज्य क्षेत्रों के आवास किराये के सचिव (औद्योगिक कर्मचारियों और समाज के आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्गाें के लिये स्वीकृत सहायता प्राप्त आवास योजना के अन्तर्गत औद्योगिक कर्मचारियों के लिये बनाये गये मकानों की बिक्री विषयक आदेश दिया था। आदेश में राज्य सरकारों को निर्देश दिया गया है कि इन आवासों की बिक्री का मूल्य लागत को आधार मानते हुए उस पर 20 प्रतिशत की छूट देते हुए आवास पन्द्रह वर्षाें की आसान किस्तों के भुगतान पर दे दिया जाए।

42 साल से लटका रखा है यूपी सरकार ने आदेश

उक्त आदेशों के अनुपालन में महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, गुजरात ने केन्द्र सरकार के निर्देशों का पालन करते हुए उसमें रहने वाले श्रमिकों को उनके आवासों की बिक्री कर दी गई। उड़ीसा सरकार ने तो टोकन मनी पर इन आवासों को मजदूरों को दे दिया। उत्तर प्रदेश सरकार ने अभी तक इस राजाज्ञा को लागू नहीं किया है। इन श्रमिक बस्तियों के लाखों आवासों में उनके परिवारीजन अनिश्चय एवं संशय में जी रहे है। उत्तर प्रदेश श्रम विभाग ने इस मामले को 42 वर्षाें से लटका रखा है।


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