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Coronavirus Prayagraj News : 65 वर्षीय वृद्धा ने महामारी के खिलाफ जीत ली जंग, 80 प्रतिशत निष्क्रिय था फेफड़ा

Coronavirus Prayagraj News शहर के अल्लापुर क्षेत्र की रहने वाली 65 वर्षीय प्रभात कुसुम गुप्ता पिछले 14 साल से फेफड़े की लाइलाज बीमारी इंटरस्टीशियल लंग डिजीज (आएलडी) से पीडि़त हैं। उनके फेफड़े लगभग 80 प्रतिशत निष्क्रिय अवस्था में हैं। कोरोना संक्रमित हो गईं। दृढ़ इच्‍छाशक्ति से कोरोना को मात दिया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 20 Oct 2020 01:24 PM (IST)Updated: Tue, 20 Oct 2020 01:24 PM (IST)
Coronavirus Prayagraj News : 65 वर्षीय वृद्धा ने महामारी के खिलाफ जीत ली जंग, 80 प्रतिशत निष्क्रिय था फेफड़ा
प्रयागराज की वृद्धा ने कोरोना के खिलाफ जंग जीत ली है।

प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना वायरस कोई हव्‍वा नहीं है। इस बीमारी से लड़ा जा सकता है, इसके प्रकोप से बचा जा सकता है और संक्रमित होने पर इसके खिलाफ जंग भी जीती जा सकती है। बस कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करने के साथ ही ढृढ़ इच्‍छाशक्ति की जरूरत है। जी हां, इसका नमूना प्रयागराज की एक वृद्धा ने पेश करके सबको लगभग चौंका दिया है। 65 वर्षीय इस वृद्धा का 80 फीसद फेफड़ा निष्‍क्रय था। कोरोना महामारी से वह संक्रमित हो गईं। उनकी दृढ़ इच्‍छाशक्ति और सकारात्मक सोच ही थी कि वह कोरोना के खिलाफ जंग में जीत गईं और इस बीमारी की जद से बाहर आ गई हैं।

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जहां एक ओर पूरा विश्व कोविड-19 बीमारी के खिलाफ जंग लड़ रहा है। इसकी वजह से इस बीमारी को लेकर लोगों में डर और चिंता बढ़ने के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर भी बहुत बुरा असर पड़ रहा है I चिकित्सकों की मानें तो इसका सबसे ज्यादा खतरा अधिक उम्र और अन्य बीमारी से ग्रसित लोगों को है। इसके बावजूद बहुत से लोग कोरोना से ठीक भी हो रहे हैं। इसमें उनकी सकारात्मक सोच और मज़बूत इच्छाशक्ति को अत्यधिक कारगर माना जा रहा है I 65 वर्षीय प्रभात कुसुम गुप्ता एक जीता-जागता उदाहरण हैं। उन्होंने एक लाइलाज बीमारी से ग्रसित होने के बाद भी अपनी सकारात्मक सोच और मजबूत इच्छाशक्ति से कोरोना को हरा दिया I

14 साल से फेफड़े की लाइलाज बीमारी से पीडि़त हैं

शहर के अल्लापुर क्षेत्र की रहने वाली 65 वर्षीय प्रभात कुसुम गुप्ता पिछले 14 साल से फेफड़े की लाइलाज बीमारी इंटरस्टीशियल लंग डिज़ीज़ (आएलडी) से पीडि़त हैं। उनके फेफड़े लगभग 80 प्रतिशत निष्क्रिय अवस्था में हैं। इसके इलाज के लिए वह 2006 में दिल्ली के एम्स भी गईं। जांच के बाद शुरुआती लक्षण टीबी के मिलने पर उपचार भी हुआ I कुछ समय बाद इंटरस्टीशियल लंग डिज़ीज़ (आइएलडी) की पुष्टि होने पर इलाज संभव नहीं होने के कारण उन्हें छुट्टी दे दी गई। तब से वह घर पर रह कर ही अपना उपचार करवा रही हैं I अब वह स्‍वस्‍थ हैं।

अनजाने में कोरोना से हुईं संक्रमित
कुसुम के बड़े बेटे नितिन को 27 अगस्त की रात तेज बुखार आया। वह तुरंत होम क्वारंटाइन हो गए। उन्‍होंने केपी ग्राउंड जांच केंद्र में अपनी कोरोना जांच कराई। रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी वह क्वारंटाइन ही रहे। एक सितंबर को नारायण स्वरूप अस्पताल में उन्होने दोबारा कोरोना जांच कराया। दो सितंबर को नितिन की रिपोर्ट दोबारा से निगेटिव ही रही। उसी रात कुसुम को तेज बुखार हुआ और वह तुरंत क्वारंटाइन हो गईं। नीतिन व कुसुम स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल जाकर कोरोना जांच कराई। चार सितंबर को नितिन व कुसुम दोनों की रिपोर्ट पॉज़िटिव आई।


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