Corona Warrior : ...ये हैं प्रयागराज की कोरोना योद्धा मां-बेटी, सेवा ही है इनकी प्राथमिकता
Corona Warrior प्रयागराज में सिविल लाइंस की रहने वाली माग्रेट मसीह और उनकी बेटी अलवीना स्टाफ नर्स हैं। वह कोविड थर्ड लेवल अस्पताल स्वरूपरानी नेहरू और सीएचसी कोटवा में बतौर स्टॉफ नर्स हैं। मां और बेटी कोरोना पॉजिटिव मरीजों की देखभाल में लगी रहती हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना वायरस जैसी वैश्विक महामारी में चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े लोग समाज की सेवा करते हुए अपने साहस से इतिहास भी रच रहे हैं। इस कार्य में कुछ स्वास्थकर्मी संक्रमण की चपेट में भी आ रहे हैं पर कर्तव्य पथ पर वे जरा भी विचलित नहीं हो रहे हैं। ऐसी ही हैं प्रयागराज की मां और बेटी भी, जो अपने कर्तव्य को ईमानदारी से निभा रही हैं।
माग्रेट मसीह व उनकी बेटी अलवीना स्टॉफ नर्स हैं
प्रयागराज में सिविल लाइंस की रहने वाली माग्रेट मसीह (59) व उनकी बेटी अलवीना (30) स्वरूपरानी जिला अस्पताल (लेवल थर्ड कोविड अस्पताल) में और सीएचसी कोटवा (लेवल फर्स्ट कोविड अस्पताल) में बतौर स्टॉफ नर्स हैं। मां और बेटी कोरोना पॉजिटिव मरीजों की देखभाल में लगी रहती हैं। उन्होंने कोरोना मरीजों के इलाज के दौरान अपने अनुभव साझा किए, जो उनके साहस और स्वास्थ्य विभाग के कर्तव्य के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, रामनगर में कोविड-19 के नोडल डॉ. राममूर्ति यादव ने बताया कि कोविड-19 को हराने के लिए सभी विभाग पूरी लगन से जुटे हुए हैं, खासकर स्वास्थ्य विभाग के लोग 24 घंटे काम पर लगे हैं I इस कार्य में अलवीना भी बतौर स्टाफ नर्स रैपिड रिस्पांस टीम का हिस्सा रही हैं I
कर्म ही है इनकी पूजा
24 मार्च से 20 मई तक अलवीना ने रामनगर (सीएचसी) क्षेत्र में प्रवासियों के घर-घर जाकर उनका होम क्वारंटाइन संबधित डेटा तैयार किया। 22 मई को उनका स्थानांतरण सीएचसी कोटवा हो गया। 23 मई को कार्यभार संभाला व 15 दिन लगातार कोरोना मरीजों के इलाज में लगी रहीं। 12 दिन होम क्वारंटाइन रहने के बाद 10 अगस्त से वह होम क्वारंटाइन कोरोना संक्रमित मरीजों का रोजाना अपडेट व उनसे प्रशासनिक दिशा निर्देशों का पालन करवा रही हैं।
मां की कर्तव्य निष्ठा से हुई हूं प्रभावित : अलवीना
अपना अनुभव साझा करते हुए अलवीना ने कहा कि मैंने बचपन से मां की कर्तव्य निष्ठा देखी है और वही मेरी प्रेरणा रही हैं। कोरोना ड्यूटी पर रहने की वजह से महीनों मैं अपनी मां से नहीं मिल सकी। जब मै घर आती तो वे ड्यूटी पर रहतीं। इन दिनों पापा ने हम दोनों का बेहद ख्याल रखा। दिन के 12 घंटे काम करने के बाद शरीर थक कर चूर होने पर भी दूसरे दिन उससे ज्यादा ऊर्जा के साथ काम किया।
पीपीई किट का अनुभव खास रहा
दो-दो मास्क, चश्मा, तीन परत दास्ताने ऊपर से पीपीई किट, सच तो यही है की ये सब देखना आसान है पर असल में चुनौती भरा है । काम के ही दौरान एक सितंबर को मुझे शाम को हल्का बुखार महसूस हुआ। दूसरे ही दिन मैंने जांच कैंप मे अपना एंटीजन व आरटीपीसीआर टेस्ट कराया, हालांकि मेरी रिपोर्ट निगेटिव रही। मैं स्वस्थ हूं और एहतियात व सकारात्मकता के साथ अपनी ड्यूटी निभा रही हूँ।
ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं देखी : माग्रेट
माग्रेट ने स्वरूपरानी नेहरु अस्पताल (लेवल थर्ड) में 11 अगस्त से 25 अगस्त तक वार्ड नंबर 14 में बतौर इंचार्ज कोरोना मरीजों की देखभाल की है। वह अपनी बेटी अलवीना पर गर्व करती हैं। साथ ही अपने पति को अपना हौसला बताती हैं। मार्गरेट ने बताया कि कई महामारियों से हमने जंग जीती पर ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं देखी। ड्यूटी के दौरान घंटों पीपीई किट पहने रहना खुद में एक चुनौती है। ऐसी स्थिति में मरीजों के साथ वार्ड में रहना व उन्हें सकारात्मक रखने के लिए बार-बार उनका हाल जानना व हर हाल में उनमें उत्साह व हिम्मत भरना हमारी प्राथमिकता रही है। उनके चेहरे पर एक हंसी मुझे पीपीई किट में पसीने से डूब जाने के बाद भी तरोताजा कर देती है।
अस्पताल से ड्यूटी पूरी होने के बाद 12 दिन होम क्वारंटाइन रही
इलाज इस दौरान मेरे पति ने मेरा बहुत ख्याल रखा, सुबह के काढ़े से लेकर दोनों समय का खाना उन्होंने खुद बनाया खिलाया। माग्रेट के पति के. सिंह ने कहा मुझे अपनी पत्नी व बेटी के पेशे पर गर्व है। ईश्वर बस उन्हें स्वस्थ रखे।