अंग्रेज रेल कर्मियों के मनोरंजन के लिए बना था कोरल क्लब, अब बन गया है बरात घर
रयागराज रेलवे जंक्शन के करीब स्थित कोरल क्लब का निर्माण देश की आजादी के पहले सन् 1924 में हुआ था। तब देश में ईस्ट इंडियन रेलवे कार्यरत थी। कोरल क्लब का निर्माण रेलवे के निचले स्तर (क्लास थ्री और फोर्थ) के कर्मचारियों के मनोरंजन के लिए कराया गया था।
प्रयागराज, जेएनएन। ईस्ट इंडिया कंपनी के समय भारत में रेल नेटवर्क का विकास किया गया। इसके लिए ईस्ट इंडियन रेलवे बनाई गई जिसके नेतृत्व में देशभर में रेलवे टै्रक बिछाने, स्टेशन, वर्कशाप आदि बनाने के साथ ही रेलवे अफसरों और कर्मचारियों के रहने के लिए कालोनियों के निर्माण के अलावा मनोरंजन के लिए क्लब आदि भी बनवाए गए। ईस्ट इंडियन रेलवे के दौर में इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में भी रेल कर्मियों के मनोरंजन के लिए कोरल क्लब बनाया गया था लेकिन वर्तमान में उसका प्रयोग क्लब के रूप में कम बारात घर के रूप में ज्यादा हो रहा है।
आजादी के पूर्व 1924 में बनाया गया था कोरल क्लब
प्रयागराज रेलवे जंक्शन के करीब स्थित कोरल क्लब का निर्माण देश की आजादी के पहले सन् 1924 में हुआ था। तब देश में ईस्ट इंडियन रेलवे कार्यरत थी। कोरल क्लब का निर्माण रेलवे के निचले स्तर (क्लास थ्री और फोर्थ) के कर्मचारियों के मनोरंजन के लिए कराया गया था। उत्तर मध्य रेलवे के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी डाक्टर अमित मालवीय बताते हैं कि क्लब के विस्तृत परिसर में मुख्य भवन के साथ ही स्वीमिंग पुल, पार्क आदि भी बनाया गया था। मुख्य भवन में बड़ा सा हॉल बना है जिसमें मंच भी बना हुआ है। एक लाइब्रेरी, कई कमरों के अलावा वॉश रूम आदि की सुविधा भी है।
अंग्रेज रेलकर्मी सपरिवार मनोरंजन के लिए आते थे यहां
कोरल क्लब का इस्तेमाल ब्रिटिश शासनकाल में रेलवे में कार्यरत अंग्रेज करते थे। वे खाली वक्त में परिवार के साथ क्लब में आते थे और खानेपीने के साथ ही खेलते व स्वीमिंग करते। पढऩे के लिए लाइब्रेरी में किताबें भी थीं। मनोरंजन के लिए क्लब में अंग्रेज लघु नाटिका आदि का आयोजन भी करते थे। महिलाएं हाउजी आदि भी खेलती थीं। विभिन्न मसलों पर वे यहां एकजुट हो विचार-विमर्श भी करते थे।
आजादी के बाद भारतीय कर्मियों को मिला प्रवेश का मौका
लंबे समय तक कोरल क्लब के प्रबंधन में हिस्सेदार रही नार्थ सेंट्रल रेलवे मेंस यूनियन के केंद्रीय महामंत्री आरडी यादव बताते हैं कि आजादी के बाद भारतीय रेल कर्मियों को कोरल क्लब में प्रवेश करने का मौका मिला। तबसे क्लब का प्रबंधन कर्मचारियों के हाथ में सौंप दिया गया। प्रबंधन कमेटी में 1980 के आसपास से रेल यूनियनों का प्रवेश हुआ। क्लब का प्रबंधन कई वर्षों तक नार्थ सेंट्रल रेलवे मेंस यूनियन के पास रहा। पदाधिकारियों से लेकर कार्यकारिणी के तकरीबन सभी पदों पर उसके ही सदस्य चुनाव में जीतते थे।
प्रबंध कार्यकारिणी चयन के लिए हर दो साल पर होता है चुनाव
कोरल क्लब का संचालन रेलकर्मी ही करते हैं। बकायदा कार्यकारिणी गठित की जाती है जिसमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष के अलावा 40 कार्यकारिणी सदस्य होते हैं। अध्यक्ष को छोड़कर अन्य पदों के लिए हर दो साल पर चुनाव होते हैं। कोरल क्लब में वर्तमान में तकरीबन 2089 रेलकर्मी सदस्य हैं जो नई कार्यकारिणी का चयन मतदान के जरिए करते हैं। एडीआरएम कोरल क्लब का पदेन अध्यक्ष होता है।
क्लब की कार्यकारिणी के लिए 2017 में हुए थे चुनाव
आमतौर पर दो साल में क्लब की नई कार्यकारिणी के लिए चुनाव कराए जाते हैं लेकिन 2017 में तीन साल के बाद चुनाव हुए थे जिसमें नार्थ सेंट्रल रेलवे कर्मचारी संघ के सदस्यों को सभी पदों पर विजय हासिल हुई थी। तब से चार साल होने को है लेकिन चुनाव नहीं हो सके हैं जबकि दो साल बाद चुनाव हो जाना चाहिए था। वर्तमान में क्लब का संचालन रेलवे प्रशासन के पास है।
बरात घर के रूप में किया जा रहा क्लब का इस्तेमाल
नार्थ सेंट्रल रेलवे मेंस यूनियन के महामंत्री आरडी यादव और नार्थ सेंट्रल रेलवे इम्प्लाइज संघ के महामंत्री आरपी सिंह का कहना है कि कोरल क्लब का निर्माण जिस भावना से किया गया था। वर्तमान में उसके विपरीत इस्तेमाल हो रहा है। क्लब का इस्तेमाल बरात घर के रूप में किया जा रहा है। रखरखाव पर ध्यान न देने के चलते ऐतिहासिक भवन जीर्ण-शीर्ण होता जा रहा है। यहां बने स्वीमिंग पुल में बरात घर का बांस, मेज और कुर्सी आदि रखा जा रहा है।