कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड़ा को प्रयागराज में बसवार की रहने वाली पाराे की फिर आई याद, जानें कौन है पारो
कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा ने प्रयागराज के बसवार गांव की नन्हीं बालिका पारो का जिक्र किया। बसवार दौरे के दौरान प्रियंका ने पारो के साथ काफी देर तक बात किया था। वह कभी उनके कंधों पर हाथ रखकर बात करती नजर आईं थीं तो कभी उनके साथ दौड़ती नजर आईं।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव प्रियंका वाड्रा को एक बार फिर प्रयागराज के घूरपुर में यमुना से सटे छोटे से गांव बसवार की रहने वाली पारो का याद आ गई। यह नौ साल की वही पारो है, जिसने 20 फरवरी 2021 को यमुना किनारे धूल के गुबार के बीच रेत पर चलते हुए प्रियंका का हाथ थामा था। वह प्रियंका से इतनी प्रभावित हुई कि बातचीत के दौरान उसने यह तक कह दिया कि दीदी... बड़ी होकर मैं नेता बनना चाहती हूं।
कांग्रेस महासचिव मंगलवार को लखनऊ में थीं। यहां उन्होंने पत्रकार वार्ता के दौरान प्रदेश की राजनीति में महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित कराने के लिए 40 फीसद सीट चुनाव में देने का वादा किया। उन्होंने कहा हमारी प्रतिज्ञा है कि महिलाएं प्रदेश की राजनीति में पूरी तरह से भागीदार हों। बताया कि यह फैसला क्यों लिया। इसके बाद उन्हाेंने बताया कि जब वह 2019 में चुनाव प्रचार के लिए निकलीं थीं तो इलाहाबाद विश्वविद्यालय की कुछ लड़कियां मिलीं। उन लड़कियों ने बताया था कि कैसे इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने उनके लिए हास्टल के नियम-कानून अलग बनाए हैं और पुरुषों के लिए अलग।
इसके बाद उन्होंने प्रयागराज के बसवार गांव की पारो का जिक्र भी किया। बसवार दौरे के दौरान प्रियंका ने पारो के साथ काफी देर तक बात किया था। वह कभी उनके कंधों पर हाथ रखकर बात करती नजर आईं थीं तो कभी उनके साथ दौड़ती नजर आईं। बीच में अपना दुपट्टा भी पारो के सिर पर रखा दिया था। यहीं नहीं यहां से जाने के बाद प्रियंका ने बसवार गांव के संतोष निषाद की बेटी पारो के लिए उपहार भी भेजे थे। मंगलवार को उन्होंने बाकायदा पारो का नाम भी लिया।
भारतीय किसान मजदूर यूनियन (स्वदेशी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष धनंजय सिंह ने प्रेसवार्ता कर तीन कृषि कानूनों को समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि राकेश टिकैट किसानों को गुमराह कर रहे हैं। कहा कि चुनाव के समय ही किसानों को तरह-तरह से गुमराह कर कुछ लोग सियासी रोटी सेक रहे हैं। लेकिन अब किसान भी समझ गए हैं कि इसके पीछे मंशा क्या है। बताया कि दो दिसंबर को लखनऊ में महापंचायत होगी, जिसमें बड़ी संख्या में किसान भाग लेंगे।