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कुंभः कलाग्राम में होगा देश के सात प्रमुख सांस्कृतिक केंद्रों का संगम

जनवरी 2019 में लगने वाले कुंभ में देश की संस्कृतियों का भी संगम होगा। मेला क्षेत्र स्थित उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र द्वारा दो प्रमुख पंडाल लगाए जाएंगे।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 09:11 PM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 11:28 PM (IST)
कुंभः कलाग्राम में होगा देश के सात प्रमुख सांस्कृतिक केंद्रों का संगम
कुंभः कलाग्राम में होगा देश के सात प्रमुख सांस्कृतिक केंद्रों का संगम

इलाहाबाद (जेएनएन)। जनवरी 2019 में लगने वाले कुंभ में देश की संस्कृतियों का भी संगम होगा। मेला क्षेत्र स्थित उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र द्वारा दो प्रमुख पंडाल लगाए जाएंगे। 'संस्कृति कुंभ' और 'कला ग्राम' में देश के प्रमुख सातों सांस्कृतिक केंद्र, संगीत नाटक अकादमी, ललित कला अकादमी आदि की गतिविधियां समान रूप से चलेंगी। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की योजना का मुख्य आकर्षण संपूर्ण मेले की अवधि तक होगा। मुख्य आकर्षण प्रमुख स्नान पर्वों के एक दिन पूर्व और दूसरे दिन भी रहेगा। 

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मेला क्षेत्र में कला ग्राम

कुंभ में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की ओर से माघ मेला क्षेत्र में 'कला ग्राम' स्थापित किया जाएगा। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र इलाहाबाद के नेतृत्व में देशभर में स्थापित सांस्कृतिक केंद्रों के साथ नाटक कला अकादमी, ललित कला अकादमी और गांधी दर्शन आदि के केंद्रीकृत स्टेज होंगे। इसमें कला एवं संस्कृति की प्रदर्शनी के साथ देश के विभिन्न हिस्सों में फैली हस्तकला की प्रस्तुति भी की जाएगी। प्रमुख छह स्नान पर्वों मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा, मौनी अमावस्या, बसंत पंचमी, माघी पूर्णिमा और महाशिवरात्रि के एक दिन पूर्व से एक दिन बाद तक निरंतर कार्यक्रमों की प्रस्तुति होगी। 

 चलो मन गंगा यमुना तीर

गुरुवार को उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक इंद्रजीत ग्रोवर ने संपूर्ण आयोजन की रूपरेखा को विस्तृत रूप से बताया। कहा कि केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने कुंभ के स्नानार्थियों को देशभर की संस्कृति का दर्शन कराने का प्रबंध किया है। इस बार परंपरागत रूप से लगने वाले शिविर 'चलो मन गंगा यमुना तीर' के नाम में परिवर्तन कर इसे संस्कृति कंभ का नाम दिया गया है। इसके अलावा कुंभ मेला क्षेत्र में एनआरआइ शिविर के लिए कला ग्राम की स्थापना होगी। इसका मकसद श्रद्धालुओं को देश की संस्कृतियों का दर्शन कराना है। देशभर में फैले प्रमुख सांस्कृतिक केंद्रों से संस्कृति, लोकनृत्य, लोकगायन और जनजातीय, लोककला-विधाओं का प्रसार किया जाएगा। 


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