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माघ मेलाः संगम तट पर सुविधाओं के लिए साधुओं में तकरार

त्याग, तपस्या व समर्पण का केंद्र माघ मेला में सुविधा को लेकर तकरार चल रही है। यह तकरार कल्पवासी अथवा श्रद्धालु नहीं बल्कि साधु-संत कर रहे हैं।

By Nawal MishraEdited By: Published: Tue, 12 Dec 2017 07:20 PM (IST)Updated: Wed, 13 Dec 2017 06:37 PM (IST)
माघ मेलाः संगम तट पर सुविधाओं के लिए साधुओं में तकरार
माघ मेलाः संगम तट पर सुविधाओं के लिए साधुओं में तकरार

इलाहाबाद (जेएनएन)। त्याग, तपस्या व समर्पण का केंद्र माघ मेला में सुविधा को लेकर तकरार चल रही है। संगम के पावन तट पर सुविधा के लिए तकरार कोई कल्पवासी अथवा श्रद्धालु नहीं कर रहे, बल्कि समाज को त्याग व मोहमाया से दूर रहने की सीख देने वाले संन्यासी कर रहे हैं। वह मुफ्त में भूमि, टेंट, दरी, कुर्सी, सोफा आदि पाने के लिए प्रशासन पर दबाव बना रहे हैं। दंडी संन्यासी उचित सुविधा न मिलने पर मेला प्रशासन पर पहले ही नाराजगी जता चुके हैं। अब खाकचौक के महंत भी सुविधा बढ़ाने की मांग करने लगे हैं। मेला प्रशासन ने 16 दिसंबर को खाकचौक को भूमि आवंटित करने की तिथि तय की है। 

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55 नए मुकामधारियों का रेला

खाकचौक व्यवस्था समिति के प्रधानमंत्री महामंडलेश्वर संतोषदास सतुआ बाबा अपनी टीम के साथ मंगलवार को प्रयाग आ गए। उन्होंने मेलाधिकारी से मिलकर 55 नए मुकामधारियों को मेला क्षेत्र में उचित भूमि व सुविधा देने की मांग की। खाकचौक में इसके पहले 215 मुकामधारी थे। वहीं, दूसरे गुट के मुखिया महामंडलेश्वर माधवदास इसका विरोध कर रहे हैं। माघ मेला में खाकचौक से जुड़े महंतों का सबसे बड़ा शिविर लगता है। मेला प्रशासन खाकचौक व्यवस्था समिति के बैनर तले सबको भूमि व सुविधा देता है, परंतु यह समिति कई सालों से विवादों में घिरी थी। हाईकोर्ट के निर्देश पर 2017 के माघ मेला में नए सिरे से चुनाव हुआ। इसमें कई साल अध्यक्ष रहे महामंडलेश्वर माधव दास को हार का सामना करना पड़ा। खाकचौक व्यवस्था समिति के प्रधानमंत्री संतोष दास का कहना है कि प्रशासन सारा काम नियमानुसार करे। इस बार 55 नए मुकामधारियों को भी सुविधा मिलनी चाहिए, जिससे उन्हें शिविर लगाने में दिक्कत न होने पाए।

फर्जी है चुनाव : माधवदास

खाकचौक व्यवस्था समिति के पूर्व अध्यक्ष महामंडलेश्वर माधव दास ने नई टीम के चुनाव को फर्जी बताया है। कहा कि जिस चुनाव का हवाला दिया जा रहा है वह हाईकोर्ट के निर्देश के विरुद्ध हुआ था। रजिस्ट्रार ने नई सूची बनाकर चुनाव कराया था जो अनुचित है। इसका केस हाईकोर्ट में चल रहा है। ऐसे में वही असली अध्यक्ष हैं और उन्हीं की देखरेख में भूमि व सुविधाओं का आवंटन होगा। अगर प्रशासन उनकी अनदेखी करेगा तो वह शांत नहीं रहेंगे। 


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