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काल्विन अस्पताल में किडनी गायब होने का प्रकरण, हकीकत का पता नहीं लगा सकी कमेटी Prayagraj News

लापरवाही का आलम यह है कि काल्विन अस्पताल में किडनी निकालने के आरोप मामले में जांच कमेटी अभी तक हकीकत नहीं जान सकी है। मरीज घर पर जिंदगी-मौत से जूझ रहा है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 10 Jan 2020 10:49 AM (IST)Updated: Fri, 10 Jan 2020 10:49 AM (IST)
काल्विन अस्पताल में किडनी गायब होने का प्रकरण, हकीकत का पता नहीं लगा सकी कमेटी Prayagraj News
काल्विन अस्पताल में किडनी गायब होने का प्रकरण, हकीकत का पता नहीं लगा सकी कमेटी Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। जिस मामले की जांच के लिए कमेटी को महज तीन दिन का समय दिया गया था, वह जांच दो माह बाद भी पूरी नहीं हो सकी है। अब इस लापरवाही के चलते मरीज का इलाज भी नहीं हो पा रहा है। वह घर पर ही जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। जी हां करीब दो माह पहले काल्विन अस्पताल के एक सर्जन पर किडनी निकालने का आरोप लगा था। आरोप पर जांच कमेटी बनी थी लेकिन अभी तक मामले की हकीकत का पता नहीं लगाया जा सका है।

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घर पर जिंदगी-मौत से जूझ रहा हरिकेश

गुलाबबाड़ी अटाला निवासी मथुरा प्रसाद का आरोप था कि काल्विन के एक डॉक्टर ने उनके पुत्र हरिकेश की किडनी से स्टोन निकालने के साथ किडनी भी निकाल लिया है। हंगामे के बाद सीएमओ ने पूरे मामले की जांच के लिए तीन डॉक्टरों की टीम गठित की थी और तीन दिन में रिपोर्ट भी मांगी थी, लेकिन कमेटी की ओर से रिपोर्ट नहीं दी गई। जांच के लिए स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल के सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. शबी अहमद, एसीएमओ डॉ. अनिल संथानी व डॉ. अमित श्रीवास्तव को शामिल किया गया था।

बोले जांच कमेटी के डॉक्टर, मामला टेढ़ा है इसलिए अभी जांच पूरी नहीं हुई

पीडि़त हरिकेश के पिता मथुरा प्रसाद का कहना है कि कई बार सीएमओ आफिस का चक्कर लगा चुका लेकिन जांच में क्या हुआ यह बताया नहीं जाता। कमेटी में शामिल डॉ. अनिल संथानी ने बताया कि मामला बहुत टेढ़ा है, इसलिए अभी तक जांच पूरी नहीं हुई। अभी हम माघ मेले में ड्यूटी कर रहे हैं। डॉ. शबी अहमद कहते हैं कि जांच अभी चल रही है।

एसजीपीजीआइ में भी नहीं हुआ इलाज

काल्विन अस्पताल के बाद हरिकेश को स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कुछ दिन तो इलाज हुआ लेकिन बाद में उसे एसजीपीजीआइ लखनऊ के लिए रेफर कर दिया गया। वहां भी भर्ती नहीं किया गया। यह कहकर लौटा दिया गया कि पहले वाले सभी पर्चे आदि लेकर आएं फिर भर्ती किया जाएगा। अब स्थिति यह कि हरिकेश अपने घर पर ही दर्द की दवा खाकर जिंदगी और मौत से जूझ रहा है।


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