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कॉफी टेबल बुक में समाएगा कुंभ गौरव, हो रही तैयारी

प्रयागराज कुंभ मेला में कॉफी टेबल बुक के माध्‍यम से मेला में आने वाले लोगों को कुंभ का गौरव बताया जाएगा। आध्यात्मिक एवं सामाजिक पक्ष का भी बखान होगा।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Wed, 09 Jan 2019 12:21 PM (IST)Updated: Wed, 09 Jan 2019 12:21 PM (IST)
कॉफी टेबल बुक में समाएगा कुंभ गौरव, हो रही तैयारी
कॉफी टेबल बुक में समाएगा कुंभ गौरव, हो रही तैयारी

प्रयागराज : कुंभ के आध्यात्मिक और सामाजिक पक्ष को रेखांकित करती काफी टेबल बुक विभिन्न विभाग तैयार कर रहे हैं। कुंभ मेला प्राधिकरण, पर्यटन विभाग, संस्कृति विभाग, एडीए, जलनिगम, आरटीओ और नगर निगम सहित विभिन्न विभाग इस महाआयोजन में अपने कार्यों का लेखाजोखा इसके माध्यम से प्रचारित करेंगे। आकर्षक कलाकृतियों एवं धार्मिक-आध्यामिक लेख बुक की महत्ता बढ़ाएंगे। 

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कुंभ को भव्य बनाने में जुटे अफसर

प्रयागराज के इस कुंभ को भव्य बनाने में विभिन्न शासकीय विभाग कार्य कर रहे हैं। केंद्र एवं राज्य सरकार की मंशा के अनुसार चुनिंदा विभाग अपनी कॉफी टेबल बुक में कुंभ के पौराणिक, वैज्ञानिक, खगोलीय, ऐतिहासिक महत्व के साथ विभागीय कार्यों के विकासपरक पहलू को समाहित करेंगे। क्षेत्रीय अभिलेखागार अधिकारी डॉ. अमित अग्निहोत्री ने बताया कि कॉफी टेबल बुक लगभग डेढ़ दर्जन विभाग तैयार कर रहे हैं। इसमें मेला प्राधिकरण का 'मेकिंग आफ द कुंभ', संस्कृति विभाग का 'दिव्य कुंभ', पर्यटन विभाग का 'पेंटमाई सिटी' के अतिरिक्त अन्य विभागों के वैचारिक कुंभ, टेस्टिीमोनियल बाय विजिटर्स व अनुभव आदि प्रमुखता से होंगे।

दिव्य कुंभ में पांडुलिपियों के माध्यम बताएंगे महिमा

संस्कृति विभाग द्वारा तैयार होने वाली कॉफी टेबल बुक 'दिव्य कुंभ' में आध्यात्मिक चित्रांकन एवं पांडुलिपियों के माध्यम से कुंभ के महत्व को समझाया जाएगा। 200 पन्नों की इस पुस्तक के निर्धारित अध्यायों में आध्यात्मिक नगरी से जुड़े सभी महत्व के पहलू समाहित होंगे। मुख्य रूप से इसके अध्यायों में वैदिक काल में गंगा का महत्व', 'प्रयाग का महत्व', ' पुराणों में कुंभ की पौराणिकता', 'अक्षयवट और प्रयाग के संगम का उल्लेख', 'संगम का उद्भव', 'विदेशी सैलानियों द्वारा गंगाजल के महत्व के संबंध में उल्लेख' और 'उत्तर प्रदेश अभिलेखागार द्वारा 1870 से अब तक सभी कुंभ के आयोजन का विवरण' मिल सकेगा। यह आकर्षक बुक ङ्क्षहदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में प्रकाशित की जाएंगी। यह कुंभ क्षेत्र में बने विभागीय पंडालों में उपलब्ध होंगी। इनका प्रकाशन निरंतर आयोजन के अंत तक चलता रहेगा।


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