परेड मैदान में Environmental Protection का संदेश दे रहे थे 43 सौ मिट्टी के घड़े Prayagraj News
...बात निकली है तो दूर तलक जाएगी। जी हां परेड मैदान में पीएम मोदी के कार्यक्रम स्थल पर यही नजर आया। पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए मिट्टी के घड़ों में पीने का पानी था।
प्रयागराज, [रमेश यादव]। पीएम नरेंद्र मोदी के आगमन के साथ ही परेड मैदान पर शनिवार को तमाम कीर्तिमान तो बने ही, सरोकारों का आदान-प्रदान भी हुआ। पंडाल के आसपास रखे गए पानी के घड़े पर्यावरण का संदेश दे रहे थे। इतने बड़े आयोजन में पॉलीथिन का दूर-दूर तक नाता नहीं था। जो लोग पानी की बोतल लेकर आए थे, उसे पंडाल के बाहर ही रखवा दिया गया था। कार्यक्रम की तैयारियों ने हर शख्स को अपने मोहपाश में बांधा। लोग यहां से पर्यावरण संरक्षण का जो संदेश लेकर गए, उसका असर आने वाले दिनों में नजर आना लाजिमी है।
कार्यक्रम में टोटी लगे मिट्टी के 43 सौ घड़े थे
परेड मैदान पर पानी पीने के लिए 21 ब्लॉकों से 43 सौ मिट्टी के घड़े रखे गए थे। टोटी लगे मिट्टी के घड़े जिले के कोने-कोने से मंगाए गए। घड़ों की संख्या पूरी न होने पर कौशांबी, चित्रकूट और मीरजापुर से भी इनको मंगाया गया। मिट्टी के घड़े रखने का उद्देश्य था पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना। पीएम मोदी के पूरे कार्यक्रम में पॉलीथिन का इस्तेमाल नहीं किया गया। इसलिए कार्यक्रम में शिरकत करने के लिए जो लोग आए, उन्हें पानी की बोतल अंदर लेकर नहीं जाने दिया गया।
ठंडा पानी पीकर प्यास बुझाई
राजापुर के रहने वाले अंकित कुमार बताते हैं कि वह बहादुरपुर ब्लॉक में बैठे थे। जब उन्होंने मिट्टी के घड़ों को देखा तो कौतूहलवश वे वहां गए। कागज का एक गिलास लेकर घड़े में लगी टोटी खोलकर पानी भरा और ठंडा पानी पीकर प्यास बुझाई। जसरा के रहने वाले धर्मेंद्र कुमार बिंद बताते हैं कि उनके ब्लॉक में सभी लोगों की जुबां पर एक ही बात थी कि मिट्टी के घड़े बड़े सुंदर हैं। टोटी अच्छी लगी है। अगर वह मिल जाए तो घर लेकर चले जाएं।
अब प्राइमरी स्कूलों की शोभा बढ़ाएंगे घड़े
प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में रखे गए मिट्टी के घड़े अब प्राइमरी और जूनियर स्कूलों की शोभा बढ़ाएंगे। डीपीआरओ रेनू श्रीवास्तव बताती हैं कि गर्मी का सीजन शुरू हो रहा है। प्राइमरी और जूनियर हाईस्कूल में जहां ठंडे पानी की व्यवस्था नहीं है, वहां पर इन्हें सुरक्षित भेजा जाएगा, ताकि एक-एक घड़े का सद्उपयोग हो। इस नए प्रयोग से बड़े कार्यक्रम से कुम्हारों को रोजगार मिलेगा। पर्यावरण सरंक्षण का संदेश देश के कोने-कोने तक जाएगा।