लुभाती है सेंट जोसफ चर्च की इटैलियन कलाकृति
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : चहुंओर ओर पसरा रहस्यमयी सन्नाटा। फूल व फलों के आकर्षक पेड
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : चहुंओर ओर पसरा रहस्यमयी सन्नाटा। फूल व फलों के आकर्षक पेड़ों के बीच खड़ी भव्य इमारत। जिस पर न चाहते हुए भी बरबस निगाह चली जाती है। इसका भव्य नजारा न सिर्फ धरती बल्कि आसमान से गुजरने वाले लोग भी आसानी से करते हैं। शहर के बीचो-बीच स्थित विशाल सेंट जोसफ कैथिड्रल चर्च का अद्भुत नजारा सबको एक नजर में ही अपना कायल बना लेता है। चर्च के मुख्यद्वार में लगी प्रभु यीशु द्वारा सूली लेकर चलने वाली विशाल प्रतिमा भव्यता को बढ़ाती है।
सेंट जोसफ कैथिड्रल प्रदेश व देश के भव्य एवं विशाल चर्चो में शुमार किया जाता है। रोमन कैथलिक डायसिस आफ इलाहाबाद का यह एकमात्र चर्च है, जिसमें दो हजार से अधिक सदस्य हैं। चर्च की नींव बिशप हारमन ने 1879 में रखी थी। इसके लिए वह मुंबई से इलाहाबाद तक बैलगाड़ी से आए थे। इससे उन्हें यहां पहुंचने में तीन माह 29 दिन का समय लगा। हारमन की मंशा के अनुरूप चर्च को इटैलियन कलाकृति व रंगों से बनाया गया, जिसे बनने में दस वर्ष का समय लगा। सन 1889 में बिशप ग्रामीन ने चर्च का शुभारंभ किया। चर्च में रखा सैकड़ों वर्ष पुराना लगभग 12 फीट लंबा पियानो सबके आकर्षण का केंद्र है। इसे पाइप से बजाया जाता है। ऐसा पियानो पूरे प्रदेश में अकेला है। हालांकि बीते एक दशक से यह नहीं बजाया जा रहा।
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फोटो--भव्य होगा प्रभु का जन्म : फ्रांसिस
चर्च के पादरी फादर फ्रांसिस बताते हैं कि क्रिसमस पर प्रभु का जन्म भव्यता से मनाया जाएगा। चर्च की भव्यता के अनुरूप सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगा। इसमें बिशप डॉ. राफी मंजली बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहेंगे। हजारों की मौजूदगी में 24 व 25 दिसंबर को प्रार्थना सभा होगी। जबकि सांस्कृतिक कार्यक्रम में हर जाति-धर्म के लोगों को आमंत्रित किया गया है।