Christmas 2020 : ...ये है प्रयागराज का कटरा चर्च, सलीब के आकार की बनावट करती है आकर्षित, जानें इसका इतिहास
Christmas 2020 कटरा चर्च के निर्माण की आधारशिला वर्ष 1900 में जोसेफ वारेन ने रखी थी। एक साल के बाद 1901 में यह बनकर तैयार हो गया। इस चर्च की स्थापना में जेम्स एम अलेक्जेंडर (1865-1902) की महती भूमिका थी। मार्च 1901 में चर्च में प्रार्थना की शुरूआत की गई।
प्रयागराज, जेएनएन। क्रिसमस का पर्व नजदीक है, ऐसे में प्रयागराज के चर्च की चर्चा लाजमी है। भले ही इस बार भले ही कोरोना वायरस संक्रमण काल में क्रिसमस पर चर्चों में बड़े आयोजन न हों, लेकिन सादगी से तो पर्व मनाया ही जाएगा। हम आपको ले चलते हैं शहर के कटरा इलाके में। यहां जिला कचहरी के समीप स्थित कटरा चर्च अपनी बनावट के मामले में अनोखा है। लाल रंग के इस भवन की बनावट सलीब के जैसी है। प्रभु यीशु मसीह को सलीब पर लटकाकर प्रताडऩा दी गई थी, इस भवन की डिजाइन उस खौफनाक मंजर की याद दिलाता है।
ब्रिटिश काल में सन् 1901 में बनकर हुआ तैयार कटरा चर्च
कटरा चर्च के निर्माण की आधारशिला वर्ष 1900 में जोसेफ वारेन ने रखी थी। एक साल के बाद 1901 में यह बनकर तैयार हो गया। इस चर्च की स्थापना में जेम्स एम अलेक्जेंडर (1865-1902) की महती भूमिका थी जिसके चलते मार्च 1901 में उन्हें समर्पित करते हुए चर्च में प्रार्थना की शुरूआत की गई।
चर्च के पहले कटरा मिशनरी में 1871 से होती थी प्रार्थना
कटरा और आसपास रहने वाले मसीही समुदाय के लोग यहां कटरा मिशनरी में तकरीबन 1871 से प्रार्थना करते थे। प्रार्थना समय की जानकारी देने के लिए एक बड़ी सी घंटी यहां पर लगी थी। घंटी के टूटने के बाद उसकी जगह पर 1990 में दूसरी लगाई गई। चर्च के पादरी फादर मनीष गुंजन जैदी ने बताया कि घंटी लगाने की याद में चर्च परिसर में 2018 में चबूतरे का निर्माण कराया गया।
भारतीय क्रिश्चियन ही यहां करते थे प्रार्थना और पूजा
इस चर्च की एक और विशेषता है। यहां भारतीय क्रिश्चियन ही पुजारी का काम करते थे और भारतीय लोग ही यहां पर प्रार्थना करने आते थे। शुरू में अंग्रेज भी आते थे लेकिन बाद में आना बंद कर दिया तो पूरी तरह से चर्च पर भारतीयों का एकाधिकार हो गया।
1856 तक यहीं पर था बाइबिल सोसाइटी ऑफ इंडिया का दफ्तर
मिशनरी होने के कारण चर्च के सामने की रोड को मिशन रोड कहा जाता है। 1865 में बाइबिल सोसाइटी ऑफ इंडिया का कार्यालय यहीं पर था जो अब सिविल लाइंस में है। चर्च प्रबंध समिति में 200 स्थायी सदस्य हैं। चर्च के मुख्य हाल में लगभग दो सौ लोग एक साथ बैठकर प्रार्थना कर सकते हैं।
चर्च परिसर में स्थित मैरी लूकस स्कूल में होती थी लैंग्वेज की पढ़ाई
चर्च परिसर में ही मैरी लूकस स्कूल स्थित है जो वर्तमान में शहर के जाने माने अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में से एक है। फादर रेवरेन मनीष गुंजन जैदी ने बताया कि ब्रिटिश काल में यह स्कूल लैंग्वेज स्कूल हुआ करता था। यहां पर अंग्रेज हिंदी सीखते थे और भारतीयों को अंग्रेजी पढ़ाते थे। चर्च परिसर में हरियाली का वास है। चारो तरफ फूल पौधे चर्च का आकर्षण बढ़ाते हैं।
कोरोना संक्रमण के चलते इस बार नहीं होंगे बड़े आयोजन
फादर रेवरेन मनीष गुंजन जैदी ने बताया कि इस बार कोरोना संक्रमण के चलते क्रिसमस के बाबत बड़े आयोजन नहीं होंगे। क्रिसमस को साधारण रूप से प्रार्थना होगी। 16 दिसंबर को कैंडल लाइट का आयोजन किया गया है। शाम छह बजे होने वाले इस समारोह में केवल चर्च से जुड़े और आसपास रह रहे मसीही ही शामिल होंगे। दूसरे चर्च से जुड़े लोगों को नहीं बुलाया गया है। आयोजन में प्रोटोकाल नियमों का पालन किया जाएगा।