गर्भ में पल रहे शिशु का भी कराएं थैलेसीमिया का परीक्षण, रोग से बचाव का तरीका भी जानें
थैलेसीमिया एक प्रकार का रक्त रोग है। अगर माता-पिता या इनमें से कोई एक थैलेसीमिया से पीड़ित है तो गर्भावस्था के शुरूआती समय तीन माह से पूर्व व चार माह के भीतर गर्भ में पल रहे बच्चे का थैलेसीमिया परिक्षण कराएं।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। थैलेसीमिया के प्रति जागरूक रहना व इसके साथ जीने के तरीके जानना ही बचाव है। प्रति वर्ष अनेक शिशुओं की इस बीमार से जान चली जाती है। थैलेसीमिया रोग न फैले इसके लिए हमें हर तीसरे महीने रक्त की जांच करवानी चाहिए। इससे पीड़ित बच्चे को प्रत्येक वर्ष लगभग 10 यूनिट खून की आवश्यकता पड़ती है। इस जरूरत को देखते हुते हर स्वस्थ व्यक्ति का रक्तदान भी जरूरी है।
थैलीसीमिया मरीजों के लिए ब्लड बैंक में निश्शुल्क मिलता है खून
काल्विन चिकित्सालय ब्लड बैंक के परामर्श-दाता सुशील तिवारी ने बताया कि थैलीसीमिया मरीजों के लिए ब्लड बैंक में खून निश्शुल्क व बिना डोनेट किए प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए मरीज कि रिपोर्ट ब्लड बैंक में जमा करना होता है। अगर कोई भी व्यक्ति स्वस्थ है वह हर तीन महीने के अंतराल पर स्वैच्छिक रक्तदान करे। एक व्यक्ति के एक यूनिट खून से चार जान बचाई जा सकती है। इस तरह प्रत्येक तीसरे माह रक्तदान करें व 12 लोगों के जीवन को बचाने में अपना अमूल्य योगदान दें।
रक्त संबंधित रोग है थैलेसीमिया
थैलेसीमिया एक प्रकार का रक्त रोग है। अगर माता-पिता या इनमें से कोई एक थैलेसीमिया से पीड़ित है तो गर्भावस्था के शुरूआती समय तीन माह से पूर्व व चार माह के भीतर गर्भ में पल रहे बच्चे का थैलेसीमिया परिक्षण कराएं। इसके शुरूआती समय में सामान्य लक्षण महसूस होते हैं। इस वजह से पीड़ित को आभास नहीं होता कि उसके खून में कोई दोष है। समय रहते वह अपने खून कि जांच ना करवाए और विवाह कर ले तो माता-पिता से जन्म लेने वाले बच्चों में अनुवांशिक तौर पर थैलेसीमिया जा सकता है।
इस आनुवांशिक रोग से बच्चों को बचाया जा सकता है
शरीर में लाल रक्त कणों (आरबीसी) की उम्र 120 दिन के करीब होती है, पर थैलेसीमिया कि वजह से आरबीसी की उम्र मात्र 20 दिनों की हो जाती है। जिस वजह से पीड़ित के शरीर में स्थित हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाने से व्यक्ति अस्वस्थ होता जाता है। शिशु को जन्म देने वाली मां के शरीर में मौजूद क्रोमोजोम खराब होने पर माइनर थैलेसीमिया सामान्य के लक्षण दिखते हैं। पर मां व पिता दोनों के शरीर में मौजूद क्रोमोज़ोम खराब होने पर मेजर थैलेसीमिया होने की संभावना बढ़ जाती है। यदि शादी के पहले ही पति-पत्नी के अपने खून की जांच करा लें तो काफी हद तक इस आनुवांशिक रोग से बच्चों को बचाया जा सकता है।
स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन
28 नवंबर को सुबह 10 बजे से शाम चार बजे तक रामलीला पार्क में, सी ब्लाक में पुरानी पानी की टंकी के पास गुरु तेग बहादुर नगर करेली में रक्तदान शिविर का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन ब्लड फार ह्यूमैनिटी फाऊंडेशन के द्वारा किया जा रहा है। इसमें आप और हम सभी मिलकर इस शिविर को सफल बना सकते हैं।