Move to Jagran APP

Kumbh Mela 2019 : हमें हमारे राम का घर वापस चाहिए : चंपत राय

गंगा महासभा और दैनिक जागरण के संयुक्त तत्वावधान में संस्कृति संसद का आयोजित किया गया। विहिप के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने श्रीराम मंदिर निर्माण पर चर्चा खुले मन से की।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Sat, 26 Jan 2019 12:08 PM (IST)Updated: Sat, 26 Jan 2019 12:08 PM (IST)
Kumbh Mela 2019 : हमें हमारे राम का घर वापस चाहिए : चंपत राय
Kumbh Mela 2019 : हमें हमारे राम का घर वापस चाहिए : चंपत राय

कुंभ नगर : गंगा महासभा और दैनिक जागरण के संयुक्त तत्वावधान में कुंभ क्षेत्र के सेक्टर 14 में आयोजित संस्कृति संसद का माहौल तब गरम हो गया, जब पहले ही सत्र में अयोध्या में रामजन्म भूमि पर मंदिर निर्माण को लेकर चर्चा छिड़ गई। चर्चा के मुख्य वक्ता विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने न केवल इसपर खुल कर बात की बल्कि मुद्दे को आमजन से जोड़ते हुए लोगों को उनका कर्तव्य भी याद दिलाया। लोगों में जोश भरते हुए उन्होंने कहा कि सभी नागरिकों को इस बात का संकल्प लेना होगा कि हमें हमारे राम का घर वापस चाहिए।

loksabha election banner

चंपत राय ने लोगों की सारी जिज्ञासा जानने की कोशिश की

आयोजन के तीसरे और अंतिम दिन शुक्रवार को पहले सत्र में श्रीराम मंदिर के निर्माण में कौन सी रुकावटें हैं? और जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण जरूरी क्यों है? इस सवालों का जवाब देने के लिए संसद के मंच पर जब राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय पहुंचे तो उन्होंने सबसे पहले लोगों की सारी जिज्ञासा जानने की कोशिश की। जब करीब एक दर्जन लोगों ने इसे लेकर अपने उत्सुकता भरे सवाल उनके सामने रखे तो संचालक डॉ. सीपी सिंह ने चंपत राय को आमंत्रित किया। माइक संभालते ही उन्होंने राम मंदिर निर्माण न होने को गुलामी से जोड़ा और कहा कि इससे मुक्ति के लिए हर उस व्यक्ति को आगे आना होगा, जो ङ्क्षहदुस्तान का निवासी है। क्योंकि यह किसी व्यक्ति या संस्था की नहीं बल्कि समूचे हिंदुस्तान के सम्मान की लड़ाई है।  

धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में सरकारी हस्तक्षेप का यह दोहरा मापदंड : स्वामी जितेंद्रानंद

द्वितीय सत्र हिंदू धाॢमक परंपराओं में सरकारी हस्तक्षेप औचित्य और सीमा विषय पर केंद्रित रहा। इसमें अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि सबरीमाला मंदिर के मामले में कोर्ट ने या तो अपनी अज्ञानता का परिचय दिया है या फिर हठर्धिमता का। उन्होंने कहा कि मंदिरों के सरकारी अधिग्रहण के लिए तो कानून बने लेकिन अन्य धर्मों के धार्मिक स्थलों के लिए ऐसा कोई कानून नहीं बनाया गया। धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में सरकारी हस्तक्षेप का यह दोहरा मापदंड क्यों? 

हमारी शिक्षा प्रणाली व आचार-विचार को नष्ट करने की कोशिश : मोनिका

सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता एवं राष्ट्रवादी चिंतक मोनिका अरोड़ा ने कहा कि कांग्रेस और वामपंथी विचारधारा से प्रेरित तथाकथित बौद्धिकों ने शिक्षा प्रणाली से लेकर आचार-विचार तक में हमारी सनातन परंपरा को नष्ट करने की कोशिश की। इन्हीं के इशारों पर काम करने वाला एनजीओ इको सिस्टम भारतीय संस्कृति और परंपरा नष्ट करने में जुटा है। राम जन्मभूमि मसले पर कोर्ट में चल रही प्रक्रिया पर उन्होंने कहा कि इस मामले में फैसला टाला जा रहा है जबकि दृढ़ इच्छाशक्ति हो तो जल्द ही इसका निपटारा किया जा सकता है। 

 उन्होंने संविधान के अनुच्छेदों का हवाला देते हुए कहा कि अयोध्या में विवादित स्थल के समीप ही 67 एकड़ भूमि निॢववाद है। सरकार चाहे तो अध्यादेश लाकर विधिक प्रक्रिया से गुजरते हुए कानून बनाया जा सकता है और यहां भी मंदिर निर्माण शुरू किया जा सकता है। द्वितीय सत्र का संचालन दैनिक जागरण प्रयाग के संपादकीय प्रभारी मदन मोहन ङ्क्षसह ने किया।

धैर्य धारण करना धर्म है : स्वामी वासुदेवानंद

इसी क्रम में सनातन संस्कृति का आधार जड़ या चेतन विषय पर केंद्रित तीसरे और अंतिम सत्र में स्वामी वासुदेवानन्द सरस्वती ने धर्म और अधर्म की व्याख्या करते हुए कहा कि समस्त संसार की उत्पत्ति चेतन ब्रह्म से हुई है। धर्म वह है जो व्यवहार्य है। जड़ चिंतन का विषय नहीं। ङ्क्षचतन का विषय चेतन है। धैर्य धारण करना धर्म है और धैर्य न धारण करना अधर्म है। उन्होंने कहा कि मनुस्मृति दुनिया का पहला संविधान है। भारत के संविधान की पुनव्र्याख्या आवश्यक है।

 सत्र का संचालन भाषाविद कमलेश कमल ने किया। इस मौके पर दैनिक जागरण के राज्य संपादक आशुतोष शुक्ल डुमरियागंज के सांसद जगदंबिका पाल, शहर उत्तरी के विधायक हर्षवर्धन ङ्क्षसह मौजूद रहे। आयोजन में गंगा महासभा के संगठन महामंत्री गोङ्क्षवद शर्मा, देवेंद्र तिवारी, कार्यक्रम संयोजक विनय तिवारी, सहसंयोजक अजय उपाध्याय, राजन भारद्वाज आदि ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.