CoronaVirus Effect : ब्लैक लिस्टेट कंपनियों के पुनर्जीवन को CFSS लागू, स्कीम का लाभ 30 सितंबर तक Prayagraj News
आरओसी ने मुदकमे फाइल किए जिसे सरकार कंपनी के खिलाफ लड़ भी रही है लेकिन कंपनियां एवं उनके निदेशक बिना विलंब शुल्क और जुर्माना दिए कंपनियों को पुनर्जीवित करा सकते हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। उन कंपनियों के लिए राहतभरी खबर है, जो रजिस्टार ऑफ कंपनीज (आरओसी) में ऑडिटेड वित्तीय विवरण की ऑनलाइन फाइलिंग न करने या निदेशकों के डिफॉल्टर होने से ब्लैकलिस्ट कर दी गई थीं। अब सरकार ने ऐसी कंपनियों को पुनर्जीवित करने के लिए इस महीने के प्रथम सप्ताह में कंपनी फ्रेश स्टार्टिंग स्कीम (सीएफएसएस) 30 सितंबर तक के लिए लागू की है। सरकार ने कोरोना वायरस के चलते देश की अर्थव्यवस्था में कंपनियों के योगदान को देखते हुए यह कदम उठाया है।
कंपनियां आयकर और जीएसटी का भुगतान नहीं कर रही थीं
रजिस्टर्ड कंपनियों को वित्तीय वर्ष के समाप्त होने के बाद ऑडिटेड वित्तीय विवरणों को आरओसी में ऑनलाइन भेजना होता है। सरकार इसका बहुत कम शुल्क लेती है जिसका भुगतान ऑनलाइन करना पड़ता है। दोबारा मोदी सरकार बनने के बाद बड़ी संख्या में कंपनियों ने आरओसी में अनिवार्य फाइलिंग नहीं कीं। हालांकि नोटबंदी के दौरान इन कंपनियों ने अपने बैंक खातों में मोटी रकम जमा की थी। कंपनियां व्यापार पेशा भी कर रही थीं लेकिन आयकर और जीएसटी का भुगतान नहीं कर रही थीं।
विलंब शुल्क एवं जुर्माना लगाए बिना कंपनियों का पुनर्जीवन होगा
ऐसी कंपनियां भी रडार पर आईं जो आरओसी में फाइलिंग इसलिए नहीं कर रही थीं, क्योंकि उन्होंने अपने कर्मचारियों का प्रॉविडेंट फंड और ईएसआइ काफी दिनों से नहीं जमा किया था। मंत्रालय को देशभर से प्रतिवेदन कंपनी मामलों के मिलते रहे जिसमें भारी-भरकम विलंब शुल्क एवं जुर्माना लगाए बिना इन कंपनियों को पुनर्जीवित करने की बात कही गई।
नहीं लगेगा विलंब शुल्क और जुर्माना
आरओसी ने मुदकमे फाइल किए जिसे सरकार कंपनी के खिलाफ लड़ भी रही है लेकिन कंपनियां एवं उनके निदेशक बिना विलंब शुल्क और जुर्माना दिए कंपनियों को पुनर्जीवित करा सकते हैं। ऐसे में उनके खिलाफ चल रहे मुकदमा भी सरकार वापस ले लेगी। प्रत्यक्षकर मूल्यांकन सलाहकार वित्त मंत्रालय डॉ. पवन जायसवाल का कहना है कि सामान्य स्थिति में विलंब शुल्क और जुर्माना बहुत ज्यादा लगता है।