सीबीआइ जांच में बेनकाब होगा Prayagraj के बैंंक से 4.25 करोड़ गायब होने का राज, नामजद आरोपितों से जल्द पूछताछ
पुलिस की जांच में पता चला था कि पूरी रकम तत्कालीन करेंसी चेस्ट अधिकारी वशिष्ठ कुमार राम ने गायब किए थे। उसने अपने बयान में कहा था कि रकम ग्रामीण बैंक को दी गई थी मगर उसके बदले बैंक को आरटीजीएस भुगतान प्राप्त नहीं हुआ।
प्रयागराज, जेएनएन। बैंक ऑफ इंडिया की सुलेमसराय शाखा से चार करोड़ 25 लाख रुपये कैसे और किसने गायब किए थे, इसका राज सीबीआइ जांच में सामने आ सकता है। लखनऊ सीबीआइ की टीम जल्द ही नामजद आरोपितों से पूछताछ करेगी। ऐसे में माना जा रहा है कि प्रकरण में संलिप्त अन्य लोगों के नाम भी प्रकाश में आ सकते हैं। सीबीआइ जांच से कुछ बैंक कर्मियों सहित दूसरे लोगों में भी खलबली मच गई है।
बैंक ऑफ इंडिया से गायब हुई थी रकम
हालांकि पुलिस की जांच में पता चला था कि पूरी रकम तत्कालीन करेंसी चेस्ट अधिकारी वशिष्ठ कुमार राम ने गायब किए थे। उसने अपने बयान में कहा था कि रकम ग्रामीण बैंक को दी गई थी, मगर उसके बदले बैंक को आरटीजीएस भुगतान प्राप्त नहीं हुआ। छानबीन में यह भी पता चला था कि रकम ग्रामीण बैंक की जगह बिल्डर एसके मिश्रा और उनके बेटे संजू मिश्रा को दी गई थी। इस आधार पर माना जा रहा है कि सीबीआइ अपनी जांच में यह पता लगाएगी कि आखिरकार बैंक से गायब की गई इतनी बड़ी रकम किसको-किसको दी गई थी।
बिल्डर समेत कई लोगों के बैंक खाते होंगे चेक
मामले में बिल्डर समेत अन्य संदिग्ध लोगों के बैंक खाते भी जांच किए जाएंगे। तीन जुलाई 2019 को ऑडिट के दौरान चार करोड़ 25 लाख रुपये का गबन करने का मामला सामने आया था। तब बैंक के तत्कालीन शाखा प्रबंधक विवेक कुमार ने मुकदमा दर्ज कराया था। धूमनगंज पुलिस ने विवेचना के दौरान आरोपित करेंसी चेस्ट अधिकारी को पकड़कर पूछताछ की थी, लेकिन रकम बरामद नहीं कर सकी थी। बिल्डर और उनके बेटे के विरुद्ध भी कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। बैंक अधिकारियों ने इसकी जांच सीबीआइ से कराने के लिए शासन को पत्र भेजा था। बहरहाल अब सीबीआइ की एंटी करप्शन ब्रांच इस पूरे मामले की जांच करेगी।