विधायक राजू पाल हत्याकांड में सीबीआइ ने दाखिल की चार्जशीट Prayagraj News
इस जांच से असंतुष्ट पत्नी पूजा पाल की याचिका पर घटना के ग्यारह साल बाद जनवरी 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ को जांच सौंपी।
प्रयागराज, जेएनएन : शहर पश्चिमी के बसपा विधायक राजू पाल हत्याकांड में सीबीआइ ने करीब साढ़े तीन साल की जांच के बाद चार्जशीट दाखिल की है। यह भी सच है कि घटना के पंद्रह साल होने जा रहे हैं लेकिन अब तक इस मामले की सुनवाई नहीं शुरू हो पाई। राजू पाल की पत्नी पूर्व विधायक पूजा पाल न्याय में देरी से नाखुश हैं। उन्होंने सीबीआइ से शिकायत भी की थी।
25 जनवरी 2005 को दोपहर करीब तीन बजे सुलेमसराय में शहर पश्चिमी के नवनिर्वाचित बसपा विधायक राजू पाल समेत तीन लोगों को गाड़ी के भीतर गोलियों से छलनी कर दिया गया। पत्नी पूजा पाल ने तत्कालीन फूलपुर सांसद अतीक अहमद, उनके भाई अशरफ समेत नौ लोगों के खिलाफ केस लिखाया। पुलिस ने गिरफ्तारी की और जांच पूरी कर 11 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया। बाद में सीबीसीआइडी ने भी अग्र्रिम जांच की और छह अन्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया। इस जांच से असंतुष्ट पत्नी पूजा पाल की याचिका पर घटना के ग्यारह साल बाद जनवरी 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआइ को जांच सौंपी। साढ़े तीन साल की जांच के बाद पिछले हफ्ते सीबीआइ ने चार्जशीट लखनऊ की कोर्ट में दाखिल कर दी लेकिन इससे मुकदमे की वादी पूजा पाल संतुष्ट नहीं हैं, बल्कि देरी से वह नाराज हैं।
पूजा ने दैनिक जागरण को बताया कि सुप्रीम कोर्ट से छह महीने में जांच पूरी करने की अपेक्षा के बावजूद तीन साल से ज्यादा वक्त लगने से वह दुखी हैं। उन्होंने दिल्ली में सीबीआइ के पूर्व चीफ से मिलकर नाराजगी भी जताई थी। अब वह सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका दायर करने जा रही थीं कि सीबीआइ जांच में उदासीनता बरत रही है तभी उन्हें दिल्ली बुलाकर चार्जशीट तैयार होने की जानकारी दी गई। कितनी भी तेजी से ट्रायल हो लेकिन मुकदमे में फैसला आने में समय लग जाएगा।
ठेले-खोमचे वालों से भी पूछताछ :
सीबीआइ ने राजू पाल हत्याकांड की नए सिरे से जांच शुरू करने के बाद हर पहलू पर बारीकी से मंथन किया। पुलिस से इतर हर उस शख्स से पूछताछ की जिसके बारे में वारदात का चश्मदीद होने की संभावना थी। सुलेम सराय में घटनास्थल के निकट ठेला लगाने वालों से लेकर कई दुकानदारों से पूछताछ की। कुछ नए गवाह भी बनाए गए हैं।
इंच-इंच की नाप, गाडिय़ों की जांच:
आरोप है कि पुलिस ने अतीक के प्रभाव में जांच में सुबूतों की अनदेखी की, फोरेंसिक सुबूत सही ढंग से नहीं जुटाए थे। सीबीआइ ने तफ्तीश शुरू की तो नए सिरे से फोरेंसिक जांच की। घटनास्थल पर घटनाक्रम का रूपांतरण किया कि किस तरह से गाडिय़ों को घेरकर फायरिंग की गई। राजू पाल गाड़ी की अगली सीट पर जहां बैठे थे, वहां किस तरह से गोलियां मारी गईं। घटनास्थल पर हमलावरों और गाडिय़ों के बीच के फासले, गोली मारने और लगने के एंगल पर मंथन हुआ। राजू पाल की गाडिय़ों क्वालिस और स्कार्पियो में गोलियों के सुराखों तथा बरामद खोखों और कारतूसों का भी नए सिरे से मिलान कराया गया।
कंट्रोल रूम लॉग की भी छानबीन:
सीबीआइ ने वारदात के दौरान कंट्रोल रूम में अफसरों द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का लॉगबुक भी चेक किया। इसमें किसी भी तरह से जानबूझकर की गई लापरवाही को परखा गया। आरोप है कि सपा शासन काल में जांच में खेल किया गया। सुबूत नष्ट किए गए। सीबीआइ ने घटना के वक्त जनपद में तैनात रहे दो आइपीएस से भी पूछताछ की थी।
अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप