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इलाहाबाद हाई कोर्ट की CAA का विरोध करने वालों को फटकार, कहा- राष्ट्रहित में नहीं विरोध की अनुमति

CAA Protest हाई कोर्ट ने कहा कि यदि याची भारतीय नागरिक है तो हर कीमत पर उसे शांति कायम रखनी चाहिए। इस मामले में याची को राहत नहीं दी जा सकती।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Fri, 07 Feb 2020 02:28 PM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2020 08:33 AM (IST)
इलाहाबाद हाई कोर्ट की CAA का विरोध करने वालों को फटकार, कहा- राष्ट्रहित में नहीं विरोध की अनुमति
इलाहाबाद हाई कोर्ट की CAA का विरोध करने वालों को फटकार, कहा- राष्ट्रहित में नहीं विरोध की अनुमति

प्रयागराज, जेएनएन। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर देश के विभिन्न क्षेत्रों में कई दिनों से विरोध-प्रदर्शन चल रहा है। इन आंदोलनों पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा है कि सीएए के खिलाफ प्रदर्शन की अनुमति की मांग राष्ट्रहित में नहीं है। ऐसे में याची को राहत नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि यदि याची भारतीय नागरिक है तो हर कीमत पर उसे शांति कायम रखनी चाहिए। कोर्ट ने याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए उसे खारिज कर दिया है।

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यह आदेश न्यायमूर्ति भारती सप्रू व न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने फीरोजाबाद के मो. फुरकान की याचिका पर दिया है। याचिका पर राज्य सरकार के अधिवक्ता बीपी सिंह कछवाह ने प्रतिवाद किया। याची का कहना था कि छात्रों ने सीएए के विरोध प्रदर्शन की अनुमति मांगी है, लेकिन उन्हें अनुमति नहीं दी जा रही है। जो उनके संवैधानिक अधिकार का हनन है। ऐसे में कोर्ट विरोध-प्रदर्शन की अनुमति देने के लिए समादेश जारी करे।

याचिका में राज्य सरकार के पोर्टल सीसीटीएनएस पर 22 जनवरी 2020 को अपलोड आदेश को रद करने की भी मांग की गई है। मामला यह है कि फीरोजाबाद में रसूलपुर थाना प्रभारी ने याची को नोटिस देकर कहा गया है कि जिले में धारा 144 लगी है। इससे पहले 20 दिसंबर के विरोध प्रदर्शन में हिंसा हुई है इसलिए लोक शांति प्रभावित करने पर कार्रवाई की जाएगी। 

न्यायमूर्ति भारती सप्रू तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने कहा है कि यदि याची भारतीय नागरिक हैं तो हर कीमत पर उसे शांति कायम रखनी चाहिए। कोर्ट ने याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए खारिज कर दिया है। याची का कहना था कि कॉलेज के छात्रों ने सीएए के विरोध प्रदर्शन की अनुमति मांगी है, किन्तु अनुमति नहीं दी जा रही है। उनके संवैधानिक अधिकार का हनन किया जा रहा है। इस कारण कोर्ट विरोध प्रदर्शन की अनुमति देने के लिए समादेश जारी करे। याचिका पर राज्य सरकार के अधिवक्ता बीपी सिंह कछवाहा ने प्रतिवाद किया। 


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