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विभागीय लापरवाही से बुझ गया घर का चिराग

इलाहाबाद : हंडिया कोतवाली क्षेत्र के बिगहिया गांव में शनिवार की सुबह दिल दहला देने वाले हा

By JagranEdited By: Published: Sun, 15 Apr 2018 12:03 AM (IST)Updated: Sun, 15 Apr 2018 12:03 AM (IST)
विभागीय लापरवाही से बुझ गया घर का चिराग
विभागीय लापरवाही से बुझ गया घर का चिराग

इलाहाबाद : हंडिया कोतवाली क्षेत्र के बिगहिया गांव में शनिवार की सुबह दिल दहला देने वाले हादसे से गांव में गम और आक्रोश का माहौल है। एक ओर जहां दो जानें जाने से गमगीन माहौल है। वहीं गांव में जर्जर हाईटेंशन तार को बदलवाने के लिए पिछले एक वर्ष से ग्रामीण व पीड़ित परिवार द्वारा विभागीय अधिकारियों को दी थी। हालांकि उनका आरोप है कि कोई भी अधिकारी या कर्मचारी देखने तक नहीं पहुंचा, तार बदलने की बात ही अलग है।

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दम तोड़ते रहे, घंटी बजती रही

हाईटेंशन तार की जद में आकर पिता-पुत्र तड़पते रहे लेकिन लगातार मिलाने के बाद भी विभाग का फोन नहीं उठा। आक्रोशित लोगों ने आरोप लगाया कि हादसे के दौरान तत्काल सैदाबाद के पास चौरा बड़ेरा फीडर में तैनात लोगों को फोन करते रहे लेकिन किसी ने फोन उठाने की उजहमत नहीं उठाई। जब ग्रामीण विद्युत उपकेंद्र पहुंचे तो जाकर सप्लाई बंद की गई। इसके बाद ग्रामीणों ने तार काटकर अलग किया। हालांकि तब तक विभाग का कोई भी कर्मचारी या अधिकारी गांव नहीं पहुंचा था। विभागीय लोगों की उदासीनता से लोग आक्रोशित दिखे।

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नहीं रुक रहे आंखों से आंसू

लालजी व उनके पुत्र अभिजीत की मौत के सदमे से परिवार के लोगों को गहरा आघात पहुंचा है। लालजी की बेटी रुचि व शन्नो सहित परिवार के लोगों की आंखों से आंसू नहीं रुक रहे हैं। शन्नो की शादी दो वर्ष पूर्व हुई है जबकि रुचि अविवाहित है। अभिजीत शहर में अपने चाचा लवकुश के साथ रह कर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा था। इन दिनों गांव में ही था।

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नौ वर्ष में तीन हादसा ने परिवार को झकझोरा

लालजी के घर में बिजली के शार्ट सर्किट से हादसा होने का यह पहला वाकया नहीं है। 2010 में भी शार्ट सर्किट से लालजी व उनके चाचा का घर जल गया था। इसमें सब कुछ स्वाहा हो गया था। हालांकि परिजन बाल-बाल बच गए थे, वहीं खाने के लिए एक दाना भी नहीं बचा था। किसी तरह सम्हले तो परिवार के एक और युवक की मौत हो गई थी। और अब यह हादसा हो गया। इससे परिवार के सदस्यों पर दुख का पहाड़ टूट गया।

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काल खींच ले गई खेत में

लालजी संयुक्त परिवार में रहते थे। इससे खेती-बारी की जिम्मेदारी लालजी पर ही रहती थी और कई खेतों की फसल मजदूरों के साथ कटा चुके थे। घर के पास होने के कारण खुद परिवार के साथ लोगों के साथ काटने गये थे और काल की गाल में समा गए। लालजी व पुत्र की मौत पर गांव के घरों में चूल्हे नहीं जले।

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स्नेह के मिसाल थे लालजी

अपने भाइयों के प्रति अगाध प्रेम रखने वाले लालजी को गांव के लोग तारीफ करते थे, मिसाल देते थे। हादसे के दौरान भी उन्होंने भाई को ही आवाज लगाई थी।


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