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वित्त मंत्रालय के निर्णय से व्यापारियों में है आक्रोश

दो माह रिटर्न न भरने पर ई-वे बिल जनरेट नहीं करने का निर्णय वित्‍त मंत्रालय ने दिया है। इससे व्‍यापारी आक्रोशित हैं। उन्‍होंने इस पर पुनर्विचार की मांग की है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Fri, 26 Apr 2019 01:22 PM (IST)Updated: Fri, 26 Apr 2019 01:22 PM (IST)
वित्त मंत्रालय के निर्णय से व्यापारियों में है आक्रोश
वित्त मंत्रालय के निर्णय से व्यापारियों में है आक्रोश

प्रयागराज : वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) की चोरी पर लगाम लगाने के लिए वित्त मंत्रालय ने भले ही दो महीने रिटर्न न भरने वालों का ई-वे बिल न जनरेट करने का निर्णय लिया है। इस फैसले से तमाम व्यापारियों में नाराजगी है। कारोबारियों का कहना है कि हर महीने रिटर्न फाइल करने के आखिरी दिनों में पोर्टल काम करना बंद कर देता है, जिससे उन्हें जूझना पड़ता है। ऐसे में दो महीने का रिटर्न न दाखिल करने पर ई-वे बिल नहीं जनरेट होगा तो बहुत से कारोबारियों का व्यापार ठप हो जाएगा। 

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कारोबारियों का ई-वे बिल जनरेट नहीं होगा

वित्त मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि जीएसटी का लगातार दो महीने तक रिटर्न न दाखिल करने पर कारोबारियों का ई-वे बिल जनरेट नहीं होगा। इसी प्रकार कंपोजीशन स्कीम के तहत पंजीकृत कारोबारियों ने लगातार दो अवधि यानी छह महीने रिटर्न नहीं दाखिल किया तो उनका ई-वे बिल जारी होना भी बंद हो जाएगा।

व्यापारी नेताओं ने जताया आक्रोश

उत्तर प्रदेश कल्याण समिति के संयोजक संतोष पनामा और प्रदेश अध्यक्ष सतीश केसरवानी का कहना है कि हर महीने की 20 तारीख को रिटर्न दाखिल करने की आखिरी तिथि होती है। लेकिन हर बार ऐसा होता है कि दो-तीन दिन पहले से ही पोर्टल काम करना बंद कर देता है। ऐसे में व्यापारियों को रिटर्न दाखिल करने में विलंब होता है। इसलिए इतना कठोर निर्णय उचित नहीं है। ई-वे बिल न जनरेट होने से व्यापार ठप हो जाएगा। वित्त मंत्रालय को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए। सिविल लाइंस व्यापार मंडल के महामंत्री शिव शंकर सिंह कहते हैं कि दो महीने के बजाय इसकी समय सीमा बढ़ाकर तीन महीने की जाए। 


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