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Highcourt: 70 साल से जनता को गुमराह कर रही नौकरशाही

अधिकारियों की हीलाहवाली और उलझाने वाली प्रक्रिया अपनाने पर हाईकोर्ट ने कहा कि 70 साल से ब्यूरोक्रेसी जनता को गुमराह कर रही है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 14 Dec 2017 08:08 PM (IST)Updated: Fri, 15 Dec 2017 12:23 AM (IST)
Highcourt: 70 साल से जनता को गुमराह कर रही नौकरशाही
Highcourt: 70 साल से जनता को गुमराह कर रही नौकरशाही

इलाहाबाद (इलाहाबाद)। हाईकोर्ट ने उप्र जनहित गारंटी अधिनियम 2011 लागू करने में अधिकारियों की हीलाहवाली और उलझाने वाली प्रक्रिया अपनाने पर गहरी नाराजगी जताई है। कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि 70 साल से ब्यूरोक्रेसी जनता को गुमराह कर रही है। भ्रष्टाचार पर नियंत्रण रखने वाले कानूनों को इतना उलझा दिया जाता है ताकि भ्रष्ट अधिकारियों की जवाबदेही तय न हो सके। 19 साल से संघर्ष कर रही दुलारी देवी की याचिका पर सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी ने यह टिप्पणी की। 

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याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी ने कहा कि यदि आय प्रमाणपत्र लेना हो तो अर्जी दो दिन में तय करने का नियम है। यदि अर्जी तय नहीं होती है तो वह स्वयं निरस्त समझी जाएगी। इसके खिलाफ प्रथम अपील होगी। इससे संतुष्ट न होने पर द्वितीय अपील होगी। इसके बाद लापरवाह अधिकारी पर पेनॉल्टी लगाई जा सकेगी। इसके लिए सभी विभागों में अपीलीय अधिकरण गठित होना है लेकिन, छह साल बीत जाने के बाद भी अधिकरण गठित नहीं किया गया। साथ ही अधिकारी की जवाबदेही तय करने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई में उलझाने के नियम बनाए जा रहे हैं।

कोर्ट ने कहा कि लोग कानूनी प्रक्रिया में उलझने के बजाए सुविधा शुल्क देना मजबूरी समझेंगे। ऐसे में सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश कैसे लगाएगी, समझ से परे है। कोर्ट ने कहा कि आरटीआइ एक्ट के स्पष्ट नियम के कारण ही वह प्रभावी साबित हो रही है। इस अधिनियम को भी लागू करने के नियम स्पष्ट और निश्चित होने चाहिए, जिससे कि भ्रष्ट व लापरवाही अधिकारियों पर कार्यवाही तय हो सके। सरकार की तरफ से कोर्ट से समय मांगा गया। याचिका पर सुनवाई 15 दिसंबर को भी होगी। 


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