नाले पर बन गई इमारतें, जलनिकासी के रास्ते बंद
शहर के सिविल लाइंस क्षेत्र में नालों पर सबसे ज्यादा अतिक्रमण है। नाले पर इमारतें बन गई हैं और जल निकासी की समस्या है। शिकायत तो की जाती है लेकिन अफसर ध्यान नहीं देते जिससे लोग परेशान होते हैं।
जासं, इलाहाबाद : शहर के पॉश इलाके सिविल लाइंस क्षेत्र में नालों पर सबसे ज्यादा अतिक्रमण मिलेंगे। यहां अंग्रेजों के जमाने के बने तमाम नालों पर बड़ी-बड़ी इमारतें बन गई हैं। इससे कई जगह जलनिकासी के रास्ते बंद हो गए हैं। जिन जगहों पर नाले थोड़े-बहुत बचे हैं, वहां दीवारें खड़ी होने से न जेसीबी से और न ही मैन्युअली सफाई होती है। लिहाजा, गंदगी से पटे नालों में बड़ी-बड़ी झाड़ियां उग आई हैं। इससे बारिश में नालों के उफनाने और बैकफ्लो होने से घरों और मुहल्लों में पानी भरना तय है।
यहां नाले का अस्तित्व ही खत्म : सिविल लाइंस में सरदार पटेल मार्ग से स्टेनली रोड पर एडी हेल्थ कार्यालय के बगल से होकर कंपनीबाग में जाकर मिलने वाले करीब 15 फीट चौड़े नाले पर जगह-जगह बिल्डिंग खड़ी हो गई हैं। जहां नाला बचा भी है, वहां सकरा होने के कारण सफाई नहीं हो पाती। यही कारण है कि बरसात में एडी हेल्थ के बगल की बस्ती में पानी भर जाता है। स्थानीय नागरिकों मनोज, दिनेश, सीमा देवी आदि का कहना है कि अतिक्रमण के बारे में स्थानीय अधिकारियों से मुख्यमंत्री तक शिकायत की गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि आरटीआइ के तहत मांगी गई सूचना में नगर निगम द्वारा जानकारी दी गई है कि नाले के दोनों तरफ छह फीट तक किसी तरह का अतिक्रमण नहीं हो सकता। बंद है स्टेनली रोड का नाला : करीब साढ़े सात फीट चौड़े और दो सौ मीटर लंबे 7-स्टेनली रोड के नाले को बंद कर दिया गया है। इससे सैकड़ों घरों का पानी निकलना मुश्किल है। बारिश में इन घरों में पानी भर जाता है। नाले से अतिक्रमण हटाने के लिए क्षेत्रीय पार्षद अशोक कुमार सिंह ने स्थानीय नागरिकों के हस्ताक्षरयुक्त प्रार्थना पत्र नगर आयुक्त को दिया। नगर आयुक्त ने अतिक्रमण हटाने के निर्देश अधिकारियों को दिए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
स्थानीय नागरिक आशुतोष शुक्ला का कहना है कि आइजीआरएस के तहत भी इसकी शिकायत की गई थी। प्रभारी अधिकारी आइजीआरएस नगर निगम की ओर से अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी एडीए पर डाल दी गई। एडीए उपाध्यक्ष ने नगर आयुक्त को पत्र लिखते हुए यह कार्रवाई निगम के स्तर से होना बताया। बहरहाल,कार्रवाई नहीं हुई। अफसरों के लिए बड़ी चुनौती: शासन के निर्देश पर घरों में सीवर कनेक्शन देने के कार्य में अब कुछ तेजी जरूर आई है, पर दिसंबर तक यह कार्य पूरा करना गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई और जलकल विभाग के अधिकारियों के लिए बड़ी चुनौती है।
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जनसंख्या, सीवरेज जनरेशन, शोधन: शहर की कुल जनसंख्या 12 लाख 72 हजार 862 है। प्रतिदिन करीब 340 एमएलडी सीवरेज का पानी निकलता है, जिसमें से 244 एमएलडी शोधित होता है। जेएनएनयूआरएम के तहत सीवर कनेक्शन देने का प्रावधान नहीं था। 'नमामि गंगे' योजना के तहत ही घरों में कनेक्शन देने का प्रावधान हुआ। बचे हुए घरों में कनेक्शन देने का कार्य तेजी से किया जा रहा है।
-आरएस सक्सेना, महाप्रबंधक जलकल विभाग।