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धागे की बढ़ती कीमत ने पावरलूम मशीनों पर लगाई ब्रेक, आइए जानें कैसे

महंगाई में धागे की बढ़ती कीमत ने मऊआइमा के पावरलूम व्‍यवसाय पर ग्रहण लगा दिया है। सरकारी उपेक्षा भी इस ओर होने से बुनकर पुश्‍तैनी व्‍यवसाय से दूर होते जा रहे हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 23 Oct 2018 07:53 PM (IST)Updated: Tue, 23 Oct 2018 07:53 PM (IST)
धागे की बढ़ती कीमत ने पावरलूम मशीनों पर लगाई ब्रेक, आइए जानें कैसे
धागे की बढ़ती कीमत ने पावरलूम मशीनों पर लगाई ब्रेक, आइए जानें कैसे

प्रयागराज : जनपद के मऊआइमा में पावरलूम व्यवसाय से कभी सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी चलती थी। धागे की बढ़ती कीमत तो कभी संसाधन के अभाव ने पावरलूम मशीनों की रफ्तार पर धीरे-धीरे ब्रेक लगा दिया। आलम यह हो गया कि तन ढकने के लिए पावरलूम मशीनों से कपड़ा तैयार करने वाला बुनकर समुदाय आज खुद तंगहाली के दौर से गुजर रहा है। इस उतार-चढ़ाव के बीच तीन दशक से अब तक कई परिवारों ने इस कारोबार को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। अब भी यह सिलसिला जारी है। वहीं सरकार द्वारा बुनकरों की हालत में सुधार के लिए कारगर कदम न उठाना भी कारण है।

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  इलाहाबाद-प्रतापगढ़ की सीमाओं के मध्य बसा मऊआइमा कस्बे की आबादी तकरीबन 50 हजार है। कस्बे का मुख्य व्यवसाय पावरलूम उद्योग है। वर्तमान में लगभग 10 हजार पावरलूम स्थापित हैं। पहले की तुलना में अब 50 फीसद मशीनें ही संचालित हो रही हैं। जबकि छोटे व्यवसायी मंदी के चलते मशीनों का संचालन ठप कर अन्य कारोबार से जुड़ रहे हैं।

नहीं दिखता हथकरघा उद्योग :

बुनकरों का कहना है कि शासन के उपेक्षा के चलते ही पूर्व में संचालित होने वाले हथकरघा उद्योग का वजूद खत्म हो गया है। सरकारी सहायता के बाद ही बुनकरों की दयनीय दशा समाप्त हो सकेगी और कारोबार चल सकेगा। उन्होंने बताया कि वर्तमान सरकार बुनकरों को दिए जाने वाली सब्सिडी को समाप्त करने की प्रक्रिया अमल में ला रही है। जिस दिन विद्युत बिल में सब्सिडी समाप्त कर दी जाएगी उस दिन से इस धंधे का भी नामोनिशान खत्म हो जाएगा।

145 रुपये प्रति किलो पहुंच गई कीमत :

बुनकरों के अनुसार चार माह पूर्व जो धागा 90 से 100 रुपये प्रति किलोग्राम मिलता था, आज उसकी कीमत 145 रुपये पहुंच गई है। वहीं तैयार कपड़े की कीमतों में धागे की बढ़ी कीमतों के अनुरूप बढ़ोतरी नहीं हुई। ऐसे में बुनकर लगातार नुकसान उठाने को बाध्य है।

ऊर्जा मंत्री से मिला प्रतिनिधि मंडल :

बुनकर प्रतिनिधि ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, पावर कॉरपोरशन सीएमडी आलोक कुमार, वाणिज्य निदेशक अशोक कुमार, हथकरघा मंत्री सत्यदेव पचौरी आदि से मिलकर बुनकरों की बदहाली के बारे में बताया। उन्हें आश्वस्त किया गया है।

मशीनें बेच कर दूसरे कारोबार से जुड़े

कारोबार में लगातार मंदी के चलते विगत दस वर्षों में लगभग पांच हजार पावरलूम मशीनें बेच कर इससे जुड़े व्यवसायी दूसरे कारोबार से जुड़ गए। या फिर यहां से पलायन कर मुंबई, भिवंडी, मालेगांव, धुलिया आदि शहरों में शिफ्ट हो कर इस धंधे से आज भी जुड़े हैं। जबकि कस्बे के मोइन, आबिद, सलीम, जमाल, प्रेमचंद, लालचंद्र, एजाज अहमद, रफीक अंसारी, बिलाल अंसारी आदि इस कारोबार को वर्षों पूर्व हमेशा के लिए अलविदा कर चुके हैं।

खास-खास :

-04 माह में बढ़ी चालीस फीसद धागे की कीमतें

-10 साल में घट गई पांच हजार पावरलूम मशीनें

-03 दशक से अब तक कई परिवारों कारोबार को कहा अलविदा

-10 हजार पावरलूम वर्तमान में स्थापित

-50 फीसद मशीनें ही महंगाई के कारण हो रही संचालित

यह हैं बुनकरों की समस्याएं जटिल है। इस मामले को सदन में उठा कर सरकार को अवगत कराते हुए जायज सुविधाओं को बहाल कराने की कोशिश करूंगा।

-नागेंद्र ङ्क्षसह पटेल, सांसद

बुनकरों की समस्याओं के लिए सदैव संघर्ष करते रहे हैं। सुविधाओं की बहाली के लिए यहां का बुनकर चुप नहीं बैठेंगे। अगर सब्सिडी समाप्त की गई तो बुनकर आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

-हाजी शोएब अंसारी, अध्यक्ष, पावरलूम बुनकर एसोसिएशन

सरकार एक तरफ स्वदेशी अपनाने की बात करती है। जबकि बढ़ावा पूंजीपतियों व विदेशी वस्तुओं को देती है। इससे सरकार की दोगली नीति साफ जाहिर होती है।

-सत्यवीर मुन्ना, पूर्व विधायक


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