ब्रह्मालीन हुए महामंडलेश्वर मार्तड पुरी
जागरण संवाददाता प्रयागराज पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के महामंडलेश्वर मार्तड पुरी (73) ब्रह्मालीन हो गए।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज : पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के महामंडलेश्वर मार्तड पुरी (73) ब्रह्मालीन हो गए। दिल्ली में इलाज के दौरान रविवार को उन्होंने अंतिम सांस ली। वे कोरोना से पीड़ित होकर अस्पताल में भर्ती हुए थे। कोरोना से ठीक होने के बाद उन्हें हृदय में दिक्कत आ गई थी। मार्तड पुरी के निधन पर हर वर्ग के लोगों ने गहरा दु:ख प्रकट किया। महानिर्वाणी अखाड़ा ने प्रयागराज में 2013 में आयोजित महाकुंभ में उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान की थी। संन्यास लेने के बाद भी उन्होंने परिवार से रिश्ता खत्म नहीं किया। वे पत्नी क्षमा, दो बेटों महिम व सेतु के साथ दिल्ली में रहते थे।
मार्तड पुरी का असली नाम माधवकांत मिश्र था। प्रयागराज के दारागंज मोहल्ले में जन्में माधवकांत बचपन से धार्मिक स्वभाव के थे। संन्यास लेने से पहले पत्रकारिता जगत में उनका बड़ा नाम था। प्रयागराज, लखनऊ, दिल्ली में रहकर देश के बड़े चैनलों व समाचार पत्रों में महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। पत्रकारिता के दौरान उनका पर्यावरण व आध्यात्म के प्रति झुकाव हो गया था। इसी कारण उन्होंने संन्यास लेने का निर्णय लिया। संन्यास लेने के बाद सनातन धर्म के सही स्वरूप को देश-विदेश में प्रचारित करने लगे। वे सात अगस्त को अंतिम बार प्रयागराज आए थे। उनके साले विभु गुप्त ने बताया कि मेरे छोटे भाई अभिनव की मृत्यु पर शांति हवन का आयोजन किया गया था। उसी में शामिल होने के लिए मार्तड पुरी प्रयागराज आए थे। मौजूदा समय वे सहारनपुर की शोभित यूनिवर्सिटी से जुड़े थे। प्रयाग धर्मसंघ के अध्यक्ष राजेंद्र पालीवाल, वरिष्ठ पत्रकार रतन दीक्षित आदि ने शोक व्यक्त किया।
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महामंडलेश्वर मार्तड पुरी का दुनिया से जाना अत्यंत कष्टकारी है। वे सच्चे महात्मा थे। जीवनभर सनातन धर्म के उत्थान के लिए काम किया। धार्मिक भ्रांतियों को खत्म करने के लिए उसके वैज्ञानिक स्वरूप से दुनिया को जोड़ने में अहम भूमिका निभाई थी।
-महंत नरेंद्र गिरि, अध्यक्ष अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद