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आटोमोबाइल और इलेक्ट्रानिक बाजार में तेजी, बाकी में सन्नाटा Prayagraj News

मोबाइल लैपटाप एलईडी की बिक्री में भी तेजी दर्ज की गई है। महंगी वाशिंग मशीन और बड़े फ्रिज खरीदे जा रहे हैं लेकिन सस्ते टीवी फ्रिज और वाशिंग मशीन की बिक्री कम है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 09:45 AM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 12:45 PM (IST)
आटोमोबाइल और इलेक्ट्रानिक बाजार में तेजी, बाकी में सन्नाटा Prayagraj News
आटोमोबाइल और इलेक्ट्रानिक बाजार में तेजी, बाकी में सन्नाटा Prayagraj News

प्रयागराज,जेएनएन।  लॉकडाउन के बाद बाजार खुले करीब डेढ़-दो महीने हो गए लेकिन बाजार में अभी इसका असर देखा जा रहा है। आटोमोबाइल और इलेक्ट्रानिक्स कारोबार में तो तेजी आई लेकिन अन्य व्यवसाय अभी भी घिसटकर चल रहे हैं।

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जून के महीने में इलेक्ट्रानिक कारोबार में पिछली बार की तुलना में करीब 20 फीसद तक वृद्धि हुई। आटोमोबाइल का कारोबार पहले जैसा भले नहीं चढ़ा, फिर भी छोटी कारों व बाइकों की बिक्री में उछाल आया है। मोबाइल, लैपटाप, एलईडी की बिक्री में तेजी ऑनलाइन पढ़ाई और वर्क फ्राम होम की वजह से हुई। छोटी कारों, बाइकों में बढ़ोतरी का कारण सुरक्षा के लिहाज से अपने वाहनों से चलने को तरजीह देना है। लिहाजा, आटोमोबाइल का कारोबार करीब 60-70 फीसद तक पहुंच गया है। वहीं, कपड़ा, फर्नीचर और फुटवियर का व्यवसाय 30 से 50 फीसद तक सिमटा है। इन चीजों की बिक्री सहालग अथवा घूमने आदि को लेकर ज्यादा होती है मगर, कोरोना का व्यापक असर दोनों पर पड़ा है।

क्या कहते हैं कारोबारी

टाटा मोटर्स महाप्रबंधक मनीष मिश्रा ने बताया कि लॉकडाउन के पहले महीने में 800-900 गाडिय़ों बिक जाती थीं लेकिन पिछले महीने 500-600 गाडिय़ों बिकीं। छोटी कारें ज्यादा बिक रही हैं, क्योंकि लोग अब खुद के वाहनों से कहीं भी आने-जाने को प्राथमिकता दे रहे हैं।  केके सेल्स के प्रोपराइटर वीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि जून में एसी, कूलर की ज्यादा बिक्री हुई। मोबाइल, लैपटाप, एलईडी की बिक्री में भी तेजी दर्ज की गई है। महंगी वाशिंग मशीन और बड़े फ्रिज खरीदे जा रहे हैं लेकिन सस्ते टीवी, फ्रिज और वाशिंग मशीन की बिक्री कम है। फर्नीचर के थोक कारोबारी अनिल चावला ने बताया कि फर्नीचर की सेल करीब 25 से 30 फीसद तक है। हालत यह है कि कई दिन तक बोहनी नहीं होती है। शादी-विवाह में ज्यादा फर्नीचर बिकता है। वह समय इस बार रहा नहीं जिससे कारोबार एकदम चौपट हो गया है। फुटवियर कारोबारी पवन अग्रवाल का कहना है कि फुटवियर का कारोबार करीब 50 फीसद तक हो रहा है। जूते, चप्पल शरीर की अंतिम जरूरत होती है, इसलिए इस संकट के दौर में जूते-चप्पल लोग कम खरीद रहे हैं। अभी इसमें ज्यादा सुधार की गुंजाइश नहीं है।


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