High Court: बीईओ ने पहले नीलामी रद की, फिर वही ठेका किया मंजूर, कार्रवाई का आदेश
याची का कहना है कि किसी ने भी निश्चित राशि बोली नहीं लगाई तो बोली स्वीकार नहीं करना चाहिए था। हाई कोर्ट ने कहा कि खंड शिक्षा अधिकारी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जानी चाहिए। इस पर कोर्ट ने जिलाधिकारी को कार्यवाही कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।
प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी सहारनपुर को खंड शिक्षा अधिकारी विनोद कुमार मेहता के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। साथ ही इस आदेश की अनुपालन रिपोर्ट मांगी है। हाई कोर्ट ने कहा है कि 24 सितंबर तक यदि कार्रवाई नहीं की तो कोर्ट अधिकारी को तलब करेगी।
खंड शिक्षा अधिकारी को सफाई देनी चाहिए
यह आदेश कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी तथा न्यायमूर्ति एके ओझा की खंडपीठ ने अनिल कुमार की जनहित याचिका पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचिका में लगाए गए आरोप गंभीर है। खंड शिक्षा अधिकारी ने कम राशि की बोली के कारण नीलामी 14 जुलाई 2021 को निरस्त कर दी। वजह यह कि बोली पिछले साल की सिक्योरिटी से भी कम थी। मगर 23 जुलाई 2021 को नीलामी निरस्त करने के अपने आदेश को वापस लेते हुए ठेका यह कहकर मंजूर कर लिया कि तीन दिनों में किसी ने कोई आपत्ति नहीं की है।
इस पर याची का कहना है कि किसी ने भी निश्चित राशि बोली नहीं लगाई तो बोली स्वीकार नहीं करना चाहिए था। हाई कोर्ट ने कहा कि खंड शिक्षा अधिकारी को सफाई देनी चाहिए। उसके खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जानी चाहिए। इस पर कोर्ट ने जिलाधिकारी को कार्यवाही कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। सुनवाई 24 सितंबर को होगी।
सरकार माडल नियोजक, नहीं करा सकती बेगार-हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सरकार माडल नियोजक है। ऐसे में याची से बेगार लेना दुर्भाग्यपूर्ण है। हाई कोर्ट ने मुख्य विकास अधिकारी जौनपुर को 27 सितंबर को तलब किया है और सफाई मांगी है कि याची को वेतन का भुगतान क्यों नहीं किया जा रहा है। याचिका की सुनवाई 27 सितंबर को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने आशुतोष कुमार श्रीवास्तव की अवमानना याचिका पर दिया है। याची के पक्ष में कोर्ट का अंतरिम आदेश था कि कार्रवाई न की जाए। इसके बावजूद उसे बर्खास्त कर दिया गया। जब गलती का अहसास हुआ तो 12 फरवरी 2020 को बहाल कर लिया गया और आदेश के अनुपालन की रिपोर्ट पेश की। इस पर याची ने कोर्ट को बताया कि मार्च 2019 से 12 फरवरी 2020 तक का उसे एक पैसे का भुगतान नहीं किया गया है। इसके बाद पांच माह तक वेतन दिया गया है। इस पर कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि सरकार बेगारी नहीं करा सकती।