भीषण गर्मीः प्यास बुझाने उत्तर प्रदेश से मध्यप्रदेश पहुंच गए ब्लैक बक
यमुनापार मेजा के चांद खमरिया से मोह भंग होने लगा है। इसकी सबसे बड़ी वजह यहां पेयजल की किल्लत है। बड़ी संख्या में काले हिरण मध्य प्रदेश जा पहुंचे हैं।
इलाहाबाद (जेएनएन)। इस बार गर्मियों में दुर्लभ काले हिरण (ब्लैक बक) का यमुनापार मेजा के चांद खमरिया से मोह भंग होने लगा है। इसकी सबसे बड़ी वजह यहां पेयजल की किल्लत है। बड़ी संख्या में काले हिरण मध्य प्रदेश जा पहुंचे हैं, वहां नदी के तराई इलाकों में इनका झुंड दिखाई देने लगा है। इससे इनके शिकार की आशंका बढ़ चली है।
प्रदेश में सोनभद्र-मीरजापुर के अलावा दुर्लभ काले हिरण मेजा के चांद खमरिया में भी पाए जाते हैं। चांद खमरिया और महुली गांव में इन काले हिरणों के लिए कंजरवेशन रिजर्व भी बनाया गया है। हलक तर करने में उन्हें दिक्कत नहीं हो, इसलिए कई स्थानों पर पंप लगवाए गए ताकि गड्ढों में पानी भरा जा सके। यह सब इंतजाम इस बार भीषण गर्मी में नाकाफी साबित हो रहे हैं। बड़ी संख्या में प्यासे काले हिरण इस वजह से चांद खमरिया और महुली से मध्य प्रदेश के रीवा जिले चाकघाट की ओर से कूच कर चुके हैं। वहां टोंस व बेलन नदी के किनारे कुबरन डीही, मांगी कोरांव, बसहट, डीघस पुरली आदि गांवों में उनका डेरा जम चुका है। वह वहां झुंड में दिखाई दे जा रहे हैं। चांद खमरिया और महुली में इक्का-दुक्का ही काले हिरण नजर आते हैं।
अब तक नहीं लग सके कैमरे
राजस्थान में ब्लैक बक के शिकार की घटनाएं सामने आने के बाद चांद खमरिया और महुली स्थित कंजरवेशन रिजर्व में इनकी सुरक्षा के लिए प्रयास शुरू किए गए थे। सबसे पहले गार्ड की तैनाती की गई लेकिन, उनकी संख्या मामूली ही है। यहां ढाई सौ मोशन सेंसर कैमरे लगाए जाने की योजना भी थी, इसके लिए नेशनल टाइगर कंजरवेशन अथारिटी के निदेशक से बातचीत भी हुई थी लेकिन, अब तक कैमरे नहीं लगाए जा सके। कैमरे लगाने से दो फायदे थे। पहला दुर्लभ काले हिरणों की निरंतर निगरानी हो सकती थी, दूसरा इनकी वास्तविक संख्या का आकलन भी हो जाता। इस क्षेत्र को ईको टूरिज्म जोन के रूप में विकसित करने की योजना भी मूर्त रूप नहीं ले सकी है।
कंजरवेशन रिजर्व में दो पक्के तालाब
प्रभारी डीएफओ डीएन सिंह ने बताया कि ब्लैक बक के लिए कंजरवेशन रिजर्व बनाया गया है मगर ये चारों ओर घूमते रहते हैं। इनके लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं है। कंजरवेशन रिजर्व में दो पक्के तालाब बनवाए गए हैं, जिनमें सोलर पंप के जरिये पानी भरवाया जाता है।