Birth Anniversary of Nirala: ...जब प्रयागराज में प्रधानमंत्री पंडित नेहरू से निराला को मिलने से रोक दिया गया था
Birth Anniversary of Nirala निराला जी को पीएम पंडित नेहरू के आने की सूचना मिली। लुंगी पहने नंगे बदन हाथ मे चाय का प्याला लिए अमरनाथ झा की कोठी के पास ...और पढ़ें

प्रयागराज, जेएनएन। महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' की जयंती वसंत पंचमी के दिन मनाने की परंपरा है। इस खास दिन उनसे जुड़े संस्मरणों को हम आप तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। प्रधानमंत्री बनने के बाद भी जवाहर लाल नेहरू का इलाहाबाद (अब प्रयागराज) आना जाना लगा रहता था। प्रयागराज आने पर नेहरू सभी से बहुत प्रेम से मिलते थे। वे जहां भी जाते थे वहां उनसे मिलने की लोग पहुंच जाते थे। नेहरू के एक बार प्रयागराज आने पर निराला उनसे मिलने पहुंच गए। नेहरू जी दारागंज अमरनाथ झा के आवास पर आए थे। निराला पहुंचे तो पुलिस वालों ने उन्हें रोक दिया था।
निराला ने पुलिस वालाें से कहा था 'प्रधानमंत्री से नहीं, नेहरू से मिलने आया हूं'
साहित्यकार रविनंदन सिंह बताते हैं कि जवाहर लाल नेहरू एक बार प्रयागराज आए थे। नेहरू की शाम को अमरनाथ झा के दारागंज आवास पर चाय पार्टी थी। दारागंज वाली सड़क पर खूब चहल पहल थी, पुलिस वाले इधर-उधर चहलकदमी कर रहे थे। निराला जी अपने आवास पर शाम की चाय पी रहे थे। उन्हेंं भी नेहरू के आने की सूचना मिली। लुंगी पहने, नंगे बदन, हाथ मे चाय का प्याला लिए अमरनाथ झा की कोठी के पास पहुंचे और ऊपर नेहरू जी से मिलने के लिए सीढिय़ां चढऩे लगे। पुलिस वालों ने रोक दिया। निराला ने पूछा रोकते क्यों हो? पुलिस वाले ने कहा प्रधानमंत्री भीतर हैं। निराला जी गरजकर बोले प्रधानमंत्री हमारे हैं कि तुम्हारे। हमने उन्हेंं प्रधानमंत्री बनाया है कि तुमने? क्रोध से निराला का चेहरा लाल हो गया। अब वे सीढिय़ों से नीचे उतरने लगे, बड़बड़ाते हुए..। तभी नेहरू जी को किसी ने बता दिया। कुछ माननीय यह कहते हुए निराला के पीछे दौड़े कि आइए पंडित जी, भेंट कर लीजिए। निराला ने झटकारते हुए कहा कि मुझे प्रधानमंत्री से नहीं मिलना है, मैं तो पंडि़त जवाहरलाल के पास आया था। यहां प्रधानमंत्री आएं हैं तो जा रहा हूं। तेजी से कदम बढ़ाते हुए घर लौट गए।
...मुझे प्रधानमंत्री से क्या काम
रवि नंदन बताते हैं कि एक बार राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन बहुत बीमार थे। नेहरू जी उन्हेंं देखने उनके निवास स्थान पर गए। वहां नेहरू जी को पता चला कि निराला भी बीमारी की दशा में दिन काट रहे हैं। नेहरू जी उन्हेंं भी देखना चाहते थे, किंतु समयाभाव के कारण स्वयं न जाकर निराला जी को लेने के लिए कार भेज दी। जो लेने गए थे उन लोगों ने निराला जी से कहा कि आपको प्रधानमंत्रीजी ने बुलाया है। यह सुनकर निरालाजी थोड़ी देर चुप रहे, फिर बोले मुझे प्रधानमंत्री से क्या काम? मैं नहीं जाऊंगा। इसके बाद एक कागज उठाकर यह शेर लिखा-
मुरगान चमन की है गुटरगूं तेरे आगे।
मुझ जैसे गरीबों की है हूं-हंू तेरे आगे।।
और शेर लिखकर कागज उसी आदमी को थमाकर बोले कि यह पंडित जी को दे देना।

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