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नोएडा फूडपार्क में पेड़ काटने के मामले में बाबा रामदेव को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत

इलाहाबाद हाईकोर्ट से बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद कंपनी को बड़ी राहत मिली है। कंपनी पर नोएडा के फूडपार्क बनाने में करीब तीन हजार पेड़ काटने का आरोप था।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 23 Oct 2018 02:22 PM (IST)Updated: Tue, 23 Oct 2018 02:22 PM (IST)
नोएडा फूडपार्क में पेड़ काटने के मामले में बाबा रामदेव को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत
नोएडा फूडपार्क में पेड़ काटने के मामले में बाबा रामदेव को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत

प्रयागराज (जेएनएन)। योग गुरु बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद कंपनी को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आज बड़ी राहत दी है। पतंजलि के नोएडा फूडपार्क के लिए करीब तीन हजार पेड़ काटने के मामले में जिलाधिकारी नोएडा को मुआवजा तय करने का निर्देश दिया है। चीफ जस्टिस डीबी भोसले और जस्टिस यशवंत वर्मा की खण्डपीठ ने यह निर्देश दिया है।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट से बाबा रामदेव की पतंजलि आयुर्वेद कंपनी को बड़ी राहत मिली है। कंपनी पर नोएडा के फूडपार्क बनाने में करीब तीन हजार पेड़ काटने का आरोप था। इस मामले में पतंजलि आयुर्वेद कंपनी ने आरोपों से इंकार किया था। आज इस मामले में याचिका निस्तारित करते हुए हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि डीएम मामले की जांच कर काटे गए पेड़ों का मुआवजा तय करें।

नोएडा के यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी के लिए सरकार ने याचियों को पट्टे पर दी गयी जमीन वापस अधिगृहीत की थी। इसके बाद औसाफ तथा आठ अन्य की ओर से याचिका दाखिल की गई थी। याचिका के अनुसार एसडीएम ने 1995 में याचियों को पेड़ लगाने के लिए पट्टे पर जमीन दी थी। याचियों ने इस दौरान जमीन पर हजारों पेड़ लगाए। इसके बाद में सरकार ने पट्टा निरस्त कर दिया। इसके बाद कोर्ट की फटकार के बाद सरकार ने निरस्तीकरण आदेश वापस लिया।

सरकार ने ग्राम सभा की जमीन वापस लेकर यमुना एक्सप्रेस वे अथॉरिटी को औद्योगिक विकास के लिए दी। इसी में से अथॉरिटी ने बाबा रामदेव की कंपनी को जमीन का आवंटन किया। इसके बाद फूडपार्क विकासित करने के लिए करीब तीन हजार से अधिक पेड़ काटने पर इसके मुआवजे की मांग को लेकर एक और याचिका दाखिल हुई।

हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि राजस्व संहिता नियमावली के नियम 55(3) के तहत पेड़ लगाने वालों को मुआवजा पाने का हक है। अथॉरिटी ने कहा कि याची की जमीन कंपनी को आवंटित नहीं की गई है। कंपनी ने भी कहा उन्हें याचियों की जमीन नहीं मिली है। सुनवाई के दौरान पेड़ किसने काटा, यह तय नहीं हो सका। इसके बाद कोर्ट ने याचिका निस्तारित करते हुए डीएम को मुआवजा तय कर भुगतान करने का निर्देश दिया।  


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