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बीएचयू के वर्तमान और पूर्व कुलपति प्रथम दृष्टया अवमानना के दोषी करार, हाई कोर्ट ने जारी किया नोटिस

हाई कोर्ट ने बीएचयू वाराणसी के वर्तमान व पूर्व कुलपति दो पूर्व कुलसचिव व दो पूर्व उप कुलसचिव को प्रथम दृष्टया न्यायालय की अवमानना का दोषी करार दिया है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Sat, 07 Dec 2019 03:05 PM (IST)Updated: Sat, 07 Dec 2019 03:05 PM (IST)
बीएचयू के वर्तमान और पूर्व कुलपति प्रथम दृष्टया अवमानना के दोषी करार, हाई कोर्ट ने जारी किया नोटिस
बीएचयू के वर्तमान और पूर्व कुलपति प्रथम दृष्टया अवमानना के दोषी करार, हाई कोर्ट ने जारी किया नोटिस

प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) वाराणसी के वर्तमान व पूर्व कुलपति, दो पूर्व कुलसचिव व दो पूर्व उप कुलसचिव को प्रथम दृष्टया न्यायालय की अवमानना का दोषी करार दिया है। सभी पर अवमानना आरोप निर्मित कर छह हफ्ते में कारण बताने का निर्देश दिया है कि क्यों न उन्हें अवमानना कार्रवाई कर दंडित किया जाए। याचिका की सुनवाई अब 16 जनवरी को होगी। 

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यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार ने डॉ. संदीप कुमार, अभिषेक चन्द्रा व अन्य की अवमानना याचिका पर दिया है। कोर्ट ने बीएचयू के कुलसचिव को निर्देश दिया है कि अवमानना के आरोपी वर्तमान कुलपति राकेश भटनागर व पूर्व कुलपति डॉ लालजी सिंह (दिवंगत), पूर्व कुलसचिव डॉ जीएस यादव व डॉ नीरज त्रिपाठी तथा पूर्व उप कुलसचिव भर्ती सेल डॉ अश्वनी कुमार सिंह व डॉ सुनीता चंद्रा पर आरोप तामील करें।

बता दें कि बीएचयू के चिकित्सा विज्ञान संस्थान में आर्थोपेडिक और एनाटॉमी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसरों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया। इस विज्ञापन को इस आधार पर चैलेंज किया गया कि विज्ञापन में जोड़ी गई अतिरिक्त अर्हता मानक के अनुरूप नहीं है। बताया गया कि नीति व योजना बोर्ड ने अतिरिक्त योग्यता तय की थी, जबकि बोर्ड को ऐसा करने का अधिकार नहीं था। यह काम मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया कर सकती थी। इस पर हाईकोर्ट ने विज्ञापन रद कर दिया था तथा विश्वविद्यालय को नए सिरे से विज्ञापन जारी करने का आदेश दिया था।

आरोप है कि इसके बावजूद विश्वविद्यालय ने नियुक्त किए गए एक प्रोफेसर को पद से हटाया नहीं और न ही कोई नया विज्ञापन जारी किया गया। जिसके खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की गई। कोर्ट ने कहा कि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने हाईकोर्ट के तीन फरवरी 2014 और 17 फरवरी 2014 के आदेशों का जानबूझकर उल्लंघन किया है। जिसके लिए उनके विरुद्ध अवमानना का मामला बनता है। कोर्ट ने सभी को प्रथम दृष्टया अवमानना का दोषी करार देते हुए स्पष्टीकरण मांगा है।


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