जानिए प्रयागराज के गुरुकुल के पहले 'कुलपति' कौन थे, उन्होंने ही बनाया था पुष्पक विमान
डॉ. सालिग्राम बताते हैं कि भरद्वाज मुनि अद्भुत विलक्षण प्रतिभा से संपन्न थे। आयुर्वेद के ज्ञाता के साथ वे विमानशास्त्री भी थे। पुष्पक विमान का निर्माण उन्होंने ही प्रयागराज आश्रम में किया था। ऋषि भरद्वाज ने यंत्र सर्वस्वम नाम का एक वृहत ग्रंथ की रचना की थी।
प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज त्रेता युग से ही शिक्षा की नगरी रही है। उस समय गंगा-यमुना के तट पर गुरुकुल की परंपरा थी। ऋषि, मुनियों के आश्रम हुआ करते थे। इन गुरुकुल आश्रमों में छात्र पढऩे आते थे। यहां उस समय भरद्वाज मुनि का आश्रम हुआ करता था। यहां एक बहुत बड़ा गुरुकुल था। इस गुरुकुल में तब एक हजार से अधिक विद्यार्थी रहकर अध्ययन करते थे। भरद्वाज मुनि इस गुरुकुल के कुलपति थे। इसी गुरुकुल में भारद्वाज मुनि ने पुष्पक विमान बनाया था।
विदेशी यात्रियों ने भी प्रयागराज को माना था विद्या का केंद्र
भारद्वाज शोध संस्थान के निदेशक डॉ. शालिग्राम गुप्ता बताते हैं कि रोम के इतिहासकार प्लीनी ने पाटलीपुत्र की राजसभा से लौटते हुए प्रयागराज में एक सप्ताह विश्राम किया था। उसने प्रयागराज को विद्या का केंद्र माना था। इसी प्रकार चीनी यात्री ह्वेनसांग तथा अश्वघोष नामक विद्वानों ने भी उल्लेख किया है कि प्रयाग में एक विशाल विश्वविद्यालय था। यहां विज्ञान तथा विश्व के अनेक विषयों की पढ़ाई होती थी। इस विश्वविद्यालय में तब एक हजार विद्यार्थी आवास करते थे। भरद्वाज इस विश्वविद्यालय के कुलपति थे। भरद्वाज प्रयागराज के पहले कुलपति थे। ऐसा जितने भी विदेशी यात्री यहां आए उन्होंने इस बात का उल्लेख किया है।
विमानशास्त्री थे भरद्वाज मुनि
डॉ. सालिग्राम बताते हैं कि भरद्वाज मुनि अद्भुत विलक्षण प्रतिभा से संपन्न थे। आयुर्वेद के ज्ञाता के साथ वे विमानशास्त्री भी थे। पुष्पक विमान का निर्माण उन्होंने ही प्रयागराज आश्रम में किया था। ऋषि भरद्वाज ने यंत्र सर्वस्वम नाम का एक वृहत ग्रंथ की रचना की थी। इस ग्रंथ में कुछ निम्न और उच्च स्तर वायुमंडल में विचरने वाले विमानों तथा विभिन्न धातुओं से निर्माण का उल्लेख है। भरद्वाज ऐसे विमान शास्त्रज्ञ थे, जिन्होंने ऋषि अगस्त के सामने विमानों को अभिवर्धित किया था। इसमें इस बात का भी उल्लेख है कि पक्षी की भांति उडऩे वाले वायुयान को अश्वनी कुमारों ने बनाया था। पुष्पक विमान को मुनि अगस्त के सहयोग से बनाया गया था। वे बताते हैं कि वेदों में विमान संबंधी उल्लेख अनेक स्थलों पर मिलते हैं। उस समय ऐसे निर्मित तीन पहियों के रथ का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है। यह विमान अंतरिक्ष में भ्रमण करता है।
भरद्वाज ने विद्युत ज्ञान को विकसित किया था
डॉ. सालिग्राम बताते हैं कि भरद्वाज ऐसे पहले विमानशास्त्री थे, जिन्होंने मुनि अगस्त्य के समय विद्युत ज्ञान को विकसित किया था। उस समय उनकी संज्ञा विद्युत, सौदामिनी, हलालिनी आदि वर्गीकृत नामों से की जाने लगी। पुष्पक विमान मांत्रिक था। यह विमान मंत्रों के आधार पर चलता था। मंत्रों का तात्पर्य रिमोट पद्धति से चलता था। ऐसा भी माना जाता है कि पुष्पक विमान विद्युत शक्ति से चलता था।