अधिवक्ता संगठनों ने कोविद-19 कमेटी को दिए सुझाव, एहतियात के साथ अदालतों में शुरू हो सुनवाई
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोविड-19 कमेटी का भी गठन किया है जो हाई कोर्ट में खुली अदालत में सुनवाई की व्यवस्था पर विचार कर रही है।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाई कोर्ट में गठित कोविद-19 कमेटी को अधिवक्ता संगठनों ने खुली अदालत में सुनवाई की व्यवस्था पर सुझाव दिए हैं। अधिकांश संगठनों का मानना है कि केंद्र सरकार की गाइडलाइन के हिसाब से एहतियात बरतते हुए सुनवाई शुरू की जा सकती है।
उत्तर प्रदेश की जिला अदालतों में नियमों, प्रतिबंधों के साथ न्यायिक कार्य शुरू है। कोरोना महामारी से निपटने के लिए लंबी लड़ाई को देखते हुए न्याय के पहिए को चलाने का फैसला काफी मंथन के बाद लिया गया। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोविड-19 कमेटी का भी गठन किया है, जो हाई कोर्ट में खुली अदालत में सुनवाई की व्यवस्था पर विचार कर रही है। पहली जून से किस तरीके व प्रक्रिया से न्याय के पहिए को गति दी जाए, इन्हीं पहलुओं पर कमेटी विचार कर रही है। राज्य सरकार ने सहयोग करने का आश्वासन दिया है।
पहले आठ मई से खुली अदालत में सुनवाई का फैसला हुआ था, किंतु कतिपय गतिरोध के कारण इसे स्थगित करना पड़ा। अब नए सिरे से विचार चल रहा है, कई अधिवक्ता व संगठनों ने अपने सुझाव भी दिये हैं। बार एसोसिएशन के पूर्व उपाध्यक्ष एसके गर्ग ने कमेटी को सुझाव दिया है कि परिसर के आसपास की दुकानों को केंद्र सरकार की गाइड लाइन के तहत एहतियात बरतने के निर्देश के साथ ही खोलने की अनुमति दी जाए। शुरुआती दौर में नए मुकदमों की ही सुनवाई हो, परिसर के बाहर काउंटर खोलकर दाखिला लिया जाय। परिसर में प्रवेश पर चिकित्सा जांच के बाद जिन वकीलों के मुकदमे लगे हैं, उन्हें ही प्रवेश मिले। परिसर का सैनिटाइजेशन भी जारी रखा जाए।
आदर्श अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष एससी मिश्र व वीसी श्रीवास्तव ने मुख्य न्यायाधीश से शारीरिक दूरी का ख्याल रखते हुए न्यायिक कार्य शुरू करने की मांग की है। उन्होंने ई-मेल दाखिले में मनमानी रोकने और कोर्ट में आने वाले सभी लोगों की सुनवाई करने की भी मांग की है। यंग लायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संतोष कुमार त्रिपाठी व उपाध्यक्ष बीडी पांडेय ने मुकदमों के दाखिले में पारदर्शिता लाने और पिक एंड चूज पालिसी पर अंकुश लगाने की जरूरत बतायी है। प्रयागराज अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष नरेंद्र कुमार चटर्जी व महासचिव राजेश त्रिपाठी ने सुझाव दिया है कि हाई कोर्ट की प्रधान पीठ में 100 अदालतें हैं, एक न्याय कक्ष से दूसरे न्याय कक्ष के बीच दो न्याय कक्ष खाली रखा जाए। 50 अदालतें बैठाकर प्रत्येक में 25 मुकदमे लगाकर दो शिफ्ट में सुनवाई की जा सकती है। 10 से एक बजे तक सिविल व दो बजे से चार बजे तक आपराधिक मुकदमे सुने जा सकते हैं।
जूनियर लायर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एमके तिवारी व सचिव जीपी सिंह ने कहा है कि अधिवक्ता चैंबर्स तब तक न खोले जाय जब तक स्थिति में राहत की उम्मीद न दिखायी दे। सभी वकीलों को उनके मुकदमे की सुनवाई की तारीख की सूचना मैसेज कर दी जाए। नोटरी हलफनामे में दाखिले की छूट दी जाय। अधिवक्ता समन्वय समिति के अध्यक्ष बीएन सिंह व प्रमेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि कोरोना वायरस से बचाव के शारीरिक दूरी के तरीके को ध्यान में रखते हुए न्यायिक कार्य शुरू करने की आवश्यकता नहीं है। अतिआवश्यक मामलों की सुनवाई प्रक्रिया स्थिति सामान्य होने तक जारी रखी जाए।
पूर्व अपर महाधिवक्ता कमल सिंह यादव ने कहा कि शारीरिक दूरी का ख्याल रखते हुए न्यायिक कार्य शुरू किया जाना चाहिए। बीमारी से डरने के बजाय बचाव का रास्ता अपनाते हुए जिंदगी की नये सिरे से शुरुआत की जाय। इनका कहना है कि तीन महीने से अदालत बंद है। वकीलों के लिए जीवन निर्वाह कठिन हो गया है। कोई ऐसी संस्था नहीं जो अधिवक्ता कल्याण की सोचे। ऐसे में सुरक्षा उपाय करते हुए बंद न्याय के दरवाजे खोले जाय। ऋतेश श्रीवास्तव ने कहा कि वादकारी का हित सर्वोच्च के सिद्धांत पर अमल किया जाय और प्रतिबंधों के साथ सबके लिए अदालत खोली जाए।