हाईकोर्ट : हत्या के आरोपित की जमानत अर्जी की गई खारिज
तारिक की गोली लगने के 13 दिन बाद अस्पताल में मौत हुई है। उसने अपने बयान में विनय वाष्र्णेय का नाम लिया है। उसके बयान को मृत्यु कालिक कथन माना जाए। घटना 23 फरवरी 2020 की कोतवाली नगर थाना क्षेत्र की है। शिकायतकर्ता सारिक ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अलीगढ़ के तारिक हत्याकांड में आरोपित विनय वार्ष्णेय की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। मृत्यु पूर्व बयान और अन्य साक्ष्यों को देखते हुए कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में आरोपित को जमानत पर रिहा करने का आधार नहीं है। अदालत ने ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया है कि इस मुकदमे का विचारण एक वर्ष के भीतर पूरा कर लिया जाए।
वार्ष्णेय की जमानत अर्जी पर न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने सुनवाई की। याची का कहना था कि तारिक घटना के समय सड़क पर हो रहे प्रदर्शन को देख रहा था। भीड़ में से किसी ने गोली चला दी जो उसे लगी और बाद में अस्पताल में मौत हो गई। इसमें याची की कोई भूमिका नहीं है, उसे झूठा फंसाया गया है, जबकि सरकारी वकील ने जमानत का विरोध करते हुए कहा कि घटना की वीडियो रिकार्डिंग मौजूद है। जिसमें गोली चलाने वाले व्यक्ति की पहचान विनय वार्ष्णेय के रूप में हुई है। इसके अलावा तारिक की गोली लगने के 13 दिन बाद अस्पताल में मौत हुई है। उसने अपने बयान में विनय वार्ष्णेय का नाम लिया है। उसके बयान को मृत्यु कालिक कथन माना जाए। घटना 23 फरवरी, 2020 की कोतवाली नगर थाना क्षेत्र की है। शिकायतकर्ता सारिक ने प्राथमिकी दर्ज कराई थी।