माता-पिता की आस में एनआइसीयू में बीते तीन माह, नहीं ली गई मासूम की सुधि
चिल्ड्रेन हॉस्पिटल में नवजात बदलने का मामला अधर में है। अब डीएनए रिपोर्ट का इंतजार अस्पताल प्रशासन व पीडि़त कर रहे हैं। फिलहाल मासूम तीन माह से एनआइसीयू में पड़ी है।
प्रयागराज : एक मासूम व निर्दोष बच्ची अपने माता-पिता की आस में तीन माह से चिल्ड्रेन अस्पताल के एनआइसीयू (नियोनेटल इंटेंसिव केयर यूनिट) में पड़ी है। अस्पताल के डॉक्टर व नर्स अभिभावक के रूप में उसकी देखभाल कर रहे हैं। उसके माता-पिता कौन हैं, इसकी जांच के लिए डीएनए टेस्ट की प्रक्रिया चल रही है। हालांकि अभी तक उसकी रिपोर्ट नहीं आई है।
क्या है मामला, क्यों नहीं स्वीकार रहे माता-पिता
मामला बीते साल 16 नवंबर का है। प्रतापगढ़ जिले के कुंडा तहसील अंतर्गत साहिबापुर गांव निवासी विनोद गुप्ता की पत्नी प्रीती का प्रतापगढ़ के कुंडा सीएचसी पर सामान्य प्रसव हुआ था। यहां जुड़वा बेटा पैदा होने की पुष्टि की गई थी। दोनों नवजात के कमजोर होने के कारण दोनों को चिल्ड्रेन हॉस्पिटल के लिए रेफर कर दिया गया था। यहां रात में एक बेटी की मौत हो गई जबकि दूसरे को एनआइसीयू में रखा गया था। विनोद का आरोप है कि मेरे बेटे को यहां बदल दिया गया है। अब उसे बेटी बताया जा रहा है, जबकि कुंडा सीएचसी पर प्रसव कराने वाले डॉक्टर ने लिखित रूप से दो बेटा पैदा होने की पुष्टि की है।
मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने एक कमेटी भी गठित की थी
इस मामले की जांच के लिए मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने एक कमेटी भी गठित की थी। हालांकि, इसमें भी महज खानापूर्ति ही हुई। वहीं मामले की जांच कर रहीं दारोगा सुशीला तिवारी ने बताया कि हमने तीन बार रिमाइंडर भी भेजा है, लेकिन अभी तक डीएनए रिपोर्ट नहीं आई। रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगा कि यह बच्ची किसकी है।
डीएनए रिपोर्ट पर है विश्वास
पीडि़त विनोद कुमार कहते हैं कि उन्हें डीएनए रिपोर्ट पर पूरा विश्वास है। बस उन्हें न्याय चाहिए। वहीं विनोद की पत्नी प्रीति का कहना है कि मुझे अपने बेटे की तलाश है। एक-एक दिन गिन रही हूं।