Poisonous Liquor Death in Pratapgarh: कभी साइकिल पर चलता था बबलू, अब करोड़ों रुपये कमाकर बन चुका है शराब माफिया
जिस शराब ने चार लोगों की जिदंगी जान ली उस शराब को बनाने का काम एक दशक से हो रहा है। पुलिस के संरक्षण में नवाबगंज थाना क्षेत्र के नया का पुरवा गांव में बबलू पटेल ने यह काला धंधा जमा रखा है। गरीब मजदूर उसके ग्राहक होते है
प्रयागराज, जेएनएन। दूसरों की जिंदगी को जोखिम में डालकर अकूत दौलत बनाने वाला प्रतापगढ़ का शराब माफिया बबलू पुलिस-प्रशासन के दावों की पोल खोलता है। वह एक वक्त इस कदर गरीबी में जी रहा था कि साइकिल से चलता था। अवैध शराब के काम में आया तो कुछ वर्षों में करोड़ों का मालिक बन बैठा। दस वर्ष पहले बबलू पुत्र पृथ्वी पाल पटेल एक-एक रुपये के लिए मोहताज रहता था और देखते ही देखते पक्का मकान, गाड़ियां और अकूत संपति बना ली।
सरोज बस्ती के लोग बताते हैं कि जब से बबलू ने शराब का कारोबार शुरू किया तब से पैसा कमाने लगा और देखते ही देखते करोड़ों का मालिक बन बैठा। उसके काले कारोबार को बंद कराने के लिए संग्रामगढ़ पुलिस व आबकारी विभाग के साथ ही कुछ शराब कारोबारी आए थे, लेकिन बबलू ने अपने करीबियों के साथ सभी को खदेड़ दिया था। तब से आज तक यह कारोबार फलफूल रहा है। आबकारी विभाग की तमाम रणनीति इसके आगे फेल हैं।
पुलिस के संरक्षण में बनती रही अवैध कच्ची शराब
जिस शराब ने चार लोगों की जिदंगी जान ली, उस शराब को बनाने का काम एक दशक से हो रहा है। पुलिस के संरक्षण में नवाबगंज थाना क्षेत्र के नया का पुरवा गांव में बबलू पटेल ने यह काला धंधा जमा रखा है। गरीब मजदूर उसके ग्राहक होते है, क्योंकि कम लागत में तैयार कर सस्ती शराब बेचता है। वह पानी में ओपी नामक रसायन मिलाकर बड़े पैमाने पर शराब बनाकर उसे पन्नी में पैक कराए रहता है। अवैध शराब बनाकर उसे बेचने का कारेाबार नया नही है, वह इस कारोबार में अपना पैर इस कदर फैला चुका है कि पुलिस भी उसकी धमक के प्रभाव में रहती है। कई बार वह पकड़ा गया, पर हर बार पुलिस व आबकारी विभाग के आलाकारियों को खुश करके छूट जाता था। सबसे बड़ी बात यह है कि जहां पर बाबूलाल का घर है वह क्षेत्र नवाबगंज का बार्डर है, जबकि तैयार की गई शराब को बेचने का काम संग्रामगढ़ थाना क्षेत्र में करता है। सुबह से शाम तक उसकी दुकान में यही अवैध शराब बिकती रही है। ग्रामीण बताते हैं कि एक पन्नी पैक शराब की कीमत महज 25 से 30 रुपये होती थी। मजदूरी करने वाले लोग घर लौटते थे तो रास्ते में बबलू की दुकान पर रुक जाते थे। कुछ वहीं पर पीते थे, कुछ घर ले जाते थे।
छिपाता था खेतों में शराब
कुख्यात बबलू जब भी शराब बेचने के लिए घर से निकलता था, वह शराब खेतों में छिपाकर रखता था। खुद एक दुकान पर बैठ जाता था। लोग उसे देखते ही समझ जाते थे कि शराब बिक रही है। ऐसे में लोग उसके पास जाते थे पैसा देते थे और उसके बाद बबलू बताता था कि शराब की पन्नी कहां रखी है। ग्राहक उस स्थान पर जाकर शराब की पन्नी लेकर उसे पीता था। पुलिस के आने पर कई बार उसे शराब दिखती ही नहीं थी।