बालू के मनमाने रेट से ठप पड़ गए थे निर्माण कार्य
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : बालू के मनमाने रेट ने हर तबके को प्रभावित कर रखा था। मकान बनवाने व
जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : बालू के मनमाने रेट ने हर तबके को प्रभावित कर रखा था। मकान बनवाने वालों के साथ ही राजगीर और मजदूर भी बेरोजगार हो गए थे। यही नहीं, खनन पर रोक के कारण लगभग एक लाख बालू श्रमिकों का भी रोजगार छिन गया था।
भाजपा सरकार बनते ही खनन माफिया पर लगाम लगाने की कोशिश शुरू हो गईं थी। अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए सरकार की ओर से कड़े कदम उठाए गए थे। इसके कारण खनन सिंडीकेट मनमाने रेट पर बालू बेचने लगा। सरकार ने खनन माफिया के इस सिंडीकेट तोड़ने के लिए ई-टेंड¨रग शुरू की। इसके बाद सरकार को जहां ज्यादा राजस्व मिला, वहीं बालू का रेट निर्धारित कर दिए जाने से दाम भी कम हो गया। इस साल सरकार को बालू खनन में 135 करोड़ रुपये की आमदनी हुई। जबकि पिछले साल बालू खनन में मात्र 10 लाख रुपये ही राजस्व में मिल सका था।
बालू के मनमाने रेट के चलते निर्माण के हर कार्य प्रभावित हो गए थे। एडीए की कई परियोजनाएं भी ठप पड़ गई थीं। निजी बिल्डरों के भी निर्माण कार्य रुके थे। यहां तक कि घर बनने भी लगभग बंद हो गए थे, जिसके कारण राजगीरों और मजदूरों को काम भी नहीं मिल पा रहा था। यही नहीं इसके कारण सीमेंट, सरिया की बिक्री मंद होने से व्यापारियों की भी कमर टूट रही थी। गंगा, यमुना, टोंस और बेलन नदियों के किनारे बसे लगभग एक लाख श्रमिकों को भी काम नहीं मिल पा रहा था। नैनी इलाके के डभांव गांव निवासी राजगीर छोटू व महेवा निवासी राजगीर गुड्डू ने बताया कि श्रमिक चौराहों पर दिनभर खड़े रहने के बाद भी काम नहीं मिलता था। रामबाग, राजापुर, अल्लापुर, करेली, कटरा, तेलियरगंज, सलोरी, धूमनगंज, नैनी, झूंसी व फाफामऊ स्थित लेबर चौराहों पर श्रमिक आते थे मगर बिना काम के ही घर लौट जाते थे।
जिले में बालू पट्टा होने के साथ ही खनन शुरू हुआ। जिला खनन अधिकारी वीपी यादव ने बताया कि जिले में कुल 34 पट्टे दिए गए। इन पट्टों के जारी होने से अब बालू की निकासी तेज हो गई है। सरकार द्वारा बालू के रेट निर्धारित कर दिए जाने से मकान निर्माण कराने वालों को राहत मिलेगी।
कई दफा सील हुईं बालू मंडियां
बालू के मनमाने रेट की शिकायत पर कई दफा मंडियों में डंप बालू सील भी हुई है। जिला प्रशासन और खनन विभाग की ओर से गऊघाट स्थित बालू मंडी, धूमनगंज, करैलाबाग, फाफामऊ मंडी, अरैल मंडी, महेवा मंडी में लाखों घन फिट बालू सील की गई थी।
चोरी-छिपे खूब बेची गई बालू
बालू खनन पर रोक के दौरान खनन माफिया और ठेकेदारों के सिंडीकेट ने चोरी-छिपे खूब बालू बेची। बताते हैं कि उस दौरान दस हजार रुपये में सौ फिट बालू बेची गई। जरूरतमंदों को महंगी बालू बेचने वाले ठेकेदार स्थानीय पुलिस से मिलीभगत कर घर तक डिलीवरी कराते थे।
रॉयल्टी हटने से किसानों की बल्ले-बल्ले
मिट्टी पर रॉयल्टी हटाए जाने से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। अन्नदाता अब अपने खेतों से आसानी से मिट्टी निकलवा कर उसे बेच सकेंगे। किसानों को उनके खेतों की मिट्टी का भरपूर दाम मिल सकेगा। पहले मिट्टी खनन कराने वाले ठेकेदार रॉयल्टी के चक्कर में किसानों को कम पैसा देते थे। अब किसानों को उन्हें पूरा दाम देना पड़ेगा, जिसका सीधा लाभ अन्नदाता को मिलेगा। यही नहीं अब मिट्टी खरीदने वालों को परिवहन और खनन का भी पैसा नहीं देना होगा। किसान ज्ञान पटेल निवासी बाबूपुर, जगत पटेल निवासी तिगनौता, नैनी, विजय कुशवाहा निवासी चंपतपुर ने बताया कि शहरी इलाकों में मकान बनाने वाले मिट्टी खरीदते हैं। किसान खेतों की मिट्टी इसलिए निकलवाते हैं कि उनके खेत की मिट्टी ऊपजाऊ हो जाए।
डीएम सुहास एलवाई ने बताया कि इस बाबत शासनादेश आते ही सभी तहसीलों और थानों में भेज दिया जाएगा। इससे किसानों को त्वरित लाभ मिल सकेगा।
-------
-2000 हजार रुपये में यमुना नदी की मोटी बालू रेट निर्धारण के बाद अब मिल सकेगी
-7500 रुपये में अब तक मनमाने रेट में यमुना की मोटी बालू बिक रही थी सौ फिट
-1200 रुपये प्रति सौ फिट अब मिलेगी गंगा की मोटी बालू, मझली छह सौ रुपये प्रति सौ फिट मिलेगी
-1500 रुपये में अब सौ फिट मोटी बालू टोंस और बेलन नदी की मिलेगी, मझली 11 सौ रुपये में