Ayushman Bharat Scheme : गोल्डन कार्ड बनवाने का फिर आया सुनहरा अवसर, जानिए कहां और कैसे बनेंगे Prayagraj News
आयुष्मान भारत योजना के तहत बनने वाले गोल्डन कार्ड पर लाभार्थी का सरकारी अस्पतालों व चिह्नित नर्सिंग होम में पांच लाख रुपये खर्च तक का मुफ्त इलाज होता है। जिले में कुल चिह्नित 2.73 लाख लाभार्थी परिवारों में से करीब डेढ़ लाख ऐसे परिवार बचे हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महात्वाकांक्षी 'आयुष्मान भारत योजना' के तहत अब उन लोगों के गोल्डन कार्ड बनाने की शुरुआत हुई है जिन परिवारों में किसी के पास भी यह कार्ड नहीं है। हालांकि लाभार्थियों का चयन काफी पहले ही किया जा चुका है। भारत सरकार से मिली वंचितों की सूची के आधार पर गोल्डन कार्ड बनाने की शुरुआत 15 दिसंबर से हो गई है। 31 दिसंबर तक 50 से अधिक लाभार्थियों वाले गांव में शिविर लगाकर तथा इससे कम लाभार्थियों के कार्ड स्थानीय जनसेवा केंद्रों में बनाए जाने हैं।
आयुष्मान भारत योजना के तहत बनने वाले गोल्डन कार्ड पर लाभार्थी का सरकारी अस्पतालों व चिह्नित नर्सिंग होम में पांच लाख रुपये खर्च तक का मुफ्त इलाज होता है। जिले में कुल चिह्नित 2.73 लाख लाभार्थी परिवारों में से करीब डेढ़ लाख ऐसे परिवार बचे हैं जिनके यहां किसी के भी यह कार्ड अब तक नहीं बन सके हैं। ऐसे लोगों के ही कार्ड बनाने के लिए 15 दिसंबर से शुरुआत हुई है।
नवंबर में बने थे करीब 20 हजार कार्ड
स्वास्थ्य विभाग की आयुष्मान भारत योजना यूनिट के अनुसार लॉक डाउन के चलते गोल्डन कार्ड बनने महीनों बंद रहे। भारत सरकार से वंचित लाभार्थियों वाले गांव की सूची मिलने के बाद 126 गांव के लोगों के कार्ड बनाए गए। इसके बाद एक नवंबर से फिर अभियान चला और करीब 20 हजार लोगों के कार्ड बना दिए गए।
गांव की आशा ले जाएगी जनसेवा केंद्र
गोल्डन कार्ड बनाए जाने के तहत जिन गांव में लाभार्थियों की संख्या 50 से कम है वहां के लोगों को गांव की आशा लेकर स्थानीय जनसेवा केंद्र ले जाएगी। जबकि जहां लाभार्थियों की संख्या 50 से अधिक है वहां गांव में ही शिविर लगाए जाने हैं, लेकिन इसके लिए गांव में बिजली को होना जरूरी है।
सीएचसी स्तर कैंप लगाकर बनाए जा रहे गोल्डेन कार्ड
आयुष्मान भारत योजना के नोडल डॉ आरसी पांडेय ने बताया कि सीएचसी स्तर पर कैंप लगाकर गोल्डन कार्ड बनाने की शुरुआत हो गई है। छूटे हुए लाभार्थियों के कार्ड बनाए जा रहे हैं। कार्ड बनने में थंब इंप्रेशन लेना होता है इसलिए शिविर स्थल पर बिजली का होना जरूरी है।